कविता: शहीदों की गाथा…

खबर शेयर करें

शहीदों की गाथा कण-कण में है
रज माथे पर लगाऊं तो कम होगा
रक्त नहीं अमृत है माटी में घुला हुआ
शीश नवाऊं पग -पग तो कम होगा।।
थर-थर कांपे बेरी हृदय डोल जाते हैं
देख -देख सीना चौड़ा प्राण भर आते है
गर्वित माथा देख वीरों का मन हर्षित होता
वीर कथा जितना सुनाऊँ कम होगा।।
शिशिर की रात्रि पल भर न ठिठुरते
गीष्ण ताप में कदम कभी न रूकते
आंधी अंधड़ की मार से जरा न सहमें
साहस वीरों का जितना बताऊँ कम होगा
तीन रंगों में रंगा तिरंगा तुमसे है
केसरिया में एक रंग तुम्हारा है
नीला चक्र चलता तुम्हारे कदमों से
महिमा वीरों की जितना सुनाऊँ कम होगा
परिवार भारत धरती को मान लिया
छोड़ कर रिश्ते देश से नाता जोड़ लिया
प्राण निज त्यागा मातृभूमि के लिए
बलिदानी गाथा जितना सुनाऊँ कम होगा।।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखण्ड में 38वें राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ, पीएम मोदीे ने की देवभूमि की तारीफ, जुबिन ने गीतों से बांधा समा

रश्मि मृदृलिका, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।