उत्तराखंड: अकेले हिमालय बचाने में जुटे पहाड़ के कंटरमैन मासाब, ऐसे कबाड़ से बना दिया कूड़ा उठाने का जुगाड़

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द्वाराहाट। (पहाड़ प्रभात विशेष)- आये दिन पर्यावरण किसी ने किसी रूप में प्रदूषित होता रहता है। ऐसे में प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसी खतरे से लोगों और पहाड़ को बचाने के लिए पहाड़ के मासाब कंटरमैन बन गये। जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिल चुकी है। पहले तो लोगों को उनका काम थोड़ा अजीब लगा लेकिन जब धीरे-धीरे उनके काम की हकीकत लोगों को पता चला तो कई लोग उनका साथ देने को तैयार हो गये। जी हां अजीब है ना एक मासाब कंटरमैन कैसे बन गये। आइये जानते है पहाड़ मेें एक मासाब के कंटरमैन बनने की पूरी कहानी…

दरअसल भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को द्वाराहाट के जमुना प्रसाद तिवारी ने आगे बढ़ाने की मुहिम पहाड़ों की छेड़ी। जिसमें उन्होंने कूड़ा उठाने में इस्तेामाल होने वाले प्लास्टिक को पूरी तरह बंद करने और उसकी जगह खाद्य तेल के कंस्तरों का इस्तेमाल लोगों से करने की गुजारिश की। जमुना प्रसाद तिवारी राजकीय इंटर कॉलेज बलुटिया में अध्यापक है। उन्होंने पहाड़ों में कूड़ा उठाने के लिए कनिस्टर का उपयोग करने की सलाह दी, जिसके बाद उन्होंने कंटर अभियान चलाया, जो आज पूरे द्वाराहाट क्षेत्र में फैल चुका है।उन्होंने कबाड़ में 5 रूपये का बिकने वाले कंटर से कूड़ा उठाने का जुगाड़ बना दिया।

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अध्यापक जमुना प्रसाद तिवारी बताते है कि कंटर अभियान की शुरूआत उन्होंने 5 जून 2017 में की। जिसका मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाना है। जिसके बाद उन्होंने दुकानों से खाली तेल के कनिस्टर लाकर उस पर सुंदर रंग करके उसे लोगों को नि:शुल्क देना शुरू किया। जिससे लोग कूड़ा आसपास न फैलाये। इसके अलावा उन्होंने घरों में प्लास्टिक गमलों की जगह कनिस्टरों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उनकी ये मेहनत रंग लायी। धीरे-धीरे लोग उनके साथ जुडऩे लगे। जमुना प्रसाद बताते है कि अभी तक वह करीब 1000 कनिस्टर बांट चुके है। अब लोग खुद कनिस्टर लेकर उन्हेंं दे जाते है जिसे वह अपने सुंदर लेखन से चमकाकर लोगों को देते है।

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उन्होंने क्षेत्र के मंदिरों, पंचायत भवनों, शिवालयों, घाटों में नि:शुल्क कनिस्टर रखकर लोगों को उसमें कूड़ा डालने की सलाह दी। इसके अलावा उन्होंने स्कूल में कंटर वाटिका बना डाली, जिसमें कनिस्टरों में फूल और अन्य पेड़ लगाये गये। उनकी कंटर वाटिका पूरे क्षेत्र में लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी है। पिछले 20 साल से अध्यापन के क्षेत्र में कार्य कर रहे जमुना प्रसाद को हर सप्ताह सिर्फ रविवार को इंतजार रहता है जिसे वह कंटरों को संवारने में लगा देते है। शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2017 में कंटरमैन जमुना प्रसाद को शैलेश मटियाली पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें राज्यपाल द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। वनस्पति विज्ञान से एमएससी करने वाले जमुना प्रसाद के मन में हमेशा पर्यावरण को लेकर कुछ न कुछ चलता रहता था। बस इसी ललक को उन्होंने आगे बढ़ाते हुए प्लास्टिक को खत्म कर टिन के कनिस्तरों का इस्तेमाल कूड़ा उठाने के लिए चलाया। जो सफल साबित हुआ। जमुना प्रसाद अब चिडिय़ों के लिए टिन का घोषला भी तैयार कर रहे है। उनका लक्ष्य है पहाड़ के हर घर में कूड़ा उठाने के लिए एक कंटर हो। आज जमुना प्रसाद तिवारी को पूरा पहाड़ कंटरमैन के नाम से जानता है। उन्हें इस कार्य के लिए सोशल मीडिया पर उत्तराखंड के साथ ही पूरे देश भर के लोगों के बधाई संदेश मिल रहे है।

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पहाड़ प्रभात डैस्क

संपादक - जीवन राज ईमेल - [email protected]

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