कहानी: मूर्ख बन गया शेर…

खबर शेयर करें

Moral Stories: अंगद वन का शेर बहुत चतुर तथा शक्तिशाली था, नित्य ही जंगल के स्वस्थ जानवरों का शिकार करके अपना पेट भरता था। शेर की चुस्ती-फुर्ती के सामने किसी भी जानवर का वश नहीं चलता था कि वह स्वयं को शेर का भोजन बनने से बचा सके।

समय बीतता गया। एक एक करके जंगल के अनेक स्वस्थ जानवर शेर का शिकार बन चुके थे। कुछ जानवर शेर से बचने के लिए जंगल छोड़कर भाग गए। अब जंगल में जानवरों का अकाल पड़ गया। शेर को अपने लिए भोजन जुटाने की खातिर दूर-दूर तक भटकना पड़ता तथा जो भी जानवर शेर के सामने कमजोर और लाचार दिखाई देता, शेर उसे ही अपना शिकार बनाकर अपनी भूख मिटाता। एक बार शेर को तीन दिन तक कोई शिकार नहीं मिला तो वह व्याकुल होकर जंगल में इधर से उधर भटकने लगा, आखिर थक हारकर वह एक गुफा के द्वार पर बैठ गया।

यह भी पढ़ें 👉  गजब: नये साल में 14 करोड़ की शराब डकार गए उत्तराखंडी, देहरादून और नैनीताल जिला टॉप पर

एकायक शेर को दूर से एक खरगोश आता हुआ दिखाई दिया, खरगोश उछल कूद मचाता हुआ अपने घर की ओर जा रहा था, जैसे ही खरगोश की नजर शेर पर पड़ी, तो वह बुरी तरह घबरा गया, उसने भागना चाहा, किंतु शेर की अंगारों सी दहकती आंखों को देखकर वह सहम गया, उसके पांव कांपने लगे। इसी बीच शेर ने उसे अपने पंजों में दबोच लिया। खरगोश रूआंसा हो गया, उसने शेर के सामने विनती की-स्वामी…आप जंगल के शक्तिशाली राजा हैं, मैं आपके जंगल का बहुत छोटा और कमजोर जानवर हूं….यदि मेरा शिकार करने से आपकी भूख शान्त हो जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है….मगर मुझे लगता है कि मेरा शिकार करने के बाद आप बहुत पछताएंगे…।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी: पार्षद प्रत्याशियों में 9 के नामांकन निरस्त, 8 मैदान से हटे

शेर ने खरगोश की विनती को ठुकारते हुए कहा-नन्हें खरगोश….मुझे बुद्धू मत बनाओ….. मैं तीन दिन से भूखा हूं….तुम्हें खाकर ही मैं अपनी भूख मिटाऊंगा। खरगोश तनिक भी विचलित नहीं हुआ, उसने कहा-स्वामी….भूख का नियम है…यदि अधिक भूख लगने पर कम भोजन किया जाता है, तो भूख और तेज हो जाती है….इसलिए मेरा सुझाव है कि जब तक तुम्हें कोई बड़ा शिकार नहीं मिलता….तब तक मेरा शिकार न करें, तभी अच्छा है,जैसे ही कोई बड़ा शिकार मिल जाए तो पहले मुझे खा लेना, फिर बड़े शिकार से भूख शान्त कर लेना। खरगोश की बात शेर की समझ बैठा रहा। बहुत देर तक शिकार की प्रतीक्षा करते करते शेर को नींद आ गयी। खरगोश ने शेर को जब सोते हुए पाया, तो वह दबे पांव वहां से भाग निकला और कुलांचे भरता हुआ अपने घर पहुंच गया। शेर सोकर उठा तो उसने पाया कि खरगोश वहां से जा चुका है, उसे अपनी मूर्खता पर बड़ा क्रोध आया।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी: पार्षद चुनाव में रोमांचक मुकाबले की उम्मीद, 199 निर्दलीय बिगाड़ सकते है, भाजपा-कांग्रेस का गणित

(डॉ. सुधाकर आशावादी-विनायक फीचर्स)

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।