हल्द्वानी: अतिक्रमणकारियों ने बेची रेलवे की भूमि, पूर्व पार्षद पांडेय ने किये कई खुलासे…
HALDWANI NEWS: आज पूर्व पार्षद हितेश पांडेय ने एक पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि रेलवे की भूमि में कई वर्षों से अतिक्रमण हुआ है। चुनावी वोट बैंक के लिए अतिक्रमणकारियों की पैरवी में जनप्रतिनिधि आगे आये उन्होंने रेलवे की भूमि में अतिक्रमण कर रखा है। उन्होंने कहा कि रेलवे की जमीन को एक-दूसरे को बेचकर करोड़ों का लेनदेन किया हुआ है। रेलवे अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के लिए कुछ जनप्रतिनिधियों ने न्यायालय में याचिकाएं तक लगाई। रेलवे की पटरी से लगी भूमि को मामूली स्टांप पेपर में खरीद-फरोख्त कर करोड़ों का कारोबार किया हुआ है।
उन्होंने कहा कि नगर निगम हल्द्वानी को रेलवे द्वारा सीमांकित भूमि के समस्त नामान्तरण निरस्त करते हुए उक्त सभी जालसाजी व विभाग को गुमराह किया गया है। आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर उनके होश उड़ गये। उन्होंने कहा कि केवल वार्ड नंबर 33 के 65 मामलों में करीब ढाई करोड़ का लेनदेन किया हुआ। ऐसे मं अगर पूरे अतितक्रण की बात करें तो करोड़ों का मामला सामने आयेगा।
पूर्व पार्षद ने बताया रेलवे भूमि में सैकड़ों लोगों द्वारा सुनियोजित ढंग से अवैध कूटरचित निर्माण करके कूटरचित दस्तावेजों की संरचना करते हुए बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से क्रय विक्रय किया हुआ है। अगर पूर्ण साक्ष्यों की जांच की जाए तो यह मामला 100 करोड़ से भी अधिक का हो सकता है। दस्तावेजों के आधार पर नजूल नीति का लाभ लेने के उद्देश्य से नगर निगम में नामांतरण, बिजली कनेक्शन,पानी कनेक्शन भी लिया गया है जो कूट रचित दस्तावेज नगर निगम हल्द्वानी में हुए अवैध नामांतरण को आरटीआई के अंतर्गत साक्ष्य के रूप में भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने के आदेश के बावजूद अवमानना करते हुए कुछ विभागों द्वारा सरकारी निधि का दुरुपयोग करते हुए अतिक्रमणित भाग में सरकारी पैसे को बर्बाद किया जा रहा है। इसकी शिकायत के लिए पूर्व पार्षद ने रेल मंत्री भारत सरकार नई दिल्ली, मुख्यमंत्री उत्तराखंड तथा पूर्वोत्तर मंडल प्रबंधक रेलवे इज्जतनगर बरेली को भी पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि ऐसा ही गौलापार के बागजाला स्थित वन भूमि में भी हो रहा है। वहां भी लाखों के लेनदेन मात्र स्टांप पेपरों पर किए जा रहे हैं। लेकिन शासन प्रशासन खामोश बैठा हुआ है। उन्होंने इस मामले में कार्यवाही की मांग की है।