हल्द्वानीः गरीब मां की मेहनत रंग लाई, बेटे ने 12वीं में 81% अंकों से लिख दी नई कहानी
Haldwani News: गरीबी कभी सफलता में बाधक नहीं बनती हैं। कड़ी मेहनत, लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे कोई भी बाधा नहीं टिकती है। उत्तराखंड बोर्ड में सफलता से कैलाश चन्द्र बुढ़लाकोटी ने यह साबित भी कर दिखाया है। आर्थिक तंगी और गरीबी को झेलते हुए भी कैलाश ने न केवल सफलता का परचम लहराया है, बल्कि अपने माता-पिता के साथ-साथ जिले का भी नाम रोशन किया है। बेशक वह टॉपरों की लिस्ट में नहीं आया, लेकिन एक विधवा महिला ने कैसे जीतोड़ मेहनत से अपने बच्चों को पाला और उन्हें पढ़ाया, यह कहानी अन्य अभिभावकों और बच्चों के लिए प्रेरणादायी है।
12वीं में 81.8 प्रतिशत अंक
जी हां वर्तमान में जीतपुर नेगी हल्द्वानी निवासी कैलाश चन्द्र बुढ़लाकोटी ने उत्तराखंड बोर्ड के 12वीं की परीक्षा में 500 में से 409 अंक हासिल किये। कैलाश के 81.8 प्रतिशत अंक यह बताते है कि अभावों को झेलते हुए रातदिन कठिन परिश्रम कर एक मुकाम हासिल किया जा सकता है। साथ ही यह संदेश भी दिया है कि सच्चे लगन और कड़ी मेहनत से किया गया काम कभी व्यर्थ नहीं जाता है। बेटे की सफलता पर दिन-रात मेहनत करने वाली मां फफक पड़ी।
पिता के निधन के बाद मां ने पाले बच्चे
मूलरूप से नैनीताल पंगोट निवासी लीला बुढ़लाकोटी ने पति के निधन के बाद बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई का जिम्मा उठाया। वर्तमान में वह लीला बुढ़लाकोटी एक निजी स्कूल में काम करती है। स्कूल प्रबंधक ने उन्हें वहीं निवास भी दिया है। वह अपने दो बच्चों कैलाश और दीक्षा के साथ रहती है। दीक्षा अभी छठीं कक्षा की छात्रा है। लीला ने दिन-रात एक कर अपने बच्चों की पढ़ाई में लगाया। बेटे की सफलता पर लीला की खुशी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बेटे का रिजल्ट देख वह फफक पड़ी। अत्यंत गरीबी से निकलकर एक मां की मेहनत ने अपने बच्चे को मंजिल तक पहुंचा दिया। या यूं कहे कि मां लीला की मेहनत से गरीबी से निकलकर कैलाश अपने पहले शिखर तक पहुंच गया।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनाना चाहता है कैलाश
कैलाश एचएन इंटर कॉलेज हल्द्वानी के छात्र है। वह 12वीं में विज्ञान वर्ग का छात्र है। गरीबी और आर्थिक तंगी के बीच पले-बढ़े कैलाश ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और लगन के आगे हर समस्या बौनी पड़ जाती है। वह अन्य गरीब छात्र-छात्राओं के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बना गया है। वह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता है। कैलाश ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता लीला बुढ़लाकोटी और आइडियल स्कूल के प्रबंधक विरेन्द्र सिंह नेगी और प्रधानाचार्य उमा नेगी और अपने स्कूल के गुरूजनों को दिया है। बेटे की सफलता पर लोग लीला को बधाई दे रहे है।