उत्तराखंडः राष्ट्रीय फलक पर छाये उत्तराखंड के लोकगायक पूरन राठौर, पीएम मोदी ने की तारीफ…

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Haldwani News: उत्तराखंड के लोक संगीत को बढ़ाने में कई लोककलाकारों ने अपना योगदान दिया है। वर्तमान में फुल्हड़ गीतों के बीच कुछ ऐसे लोक कलाकार है जो उत्तराखंड की लोक विधा को जिंदा रखे हुए है। उन्हीं में एक नाम लोकगायक पूरन राठौर का भी है। जिसका जिक्र आज मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। पीएम मोदी ने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार विजेता पूरन सिंह राठौर ने उत्तराखंड की लोक विधा में नई जान फूंकी है। आगे पढ़िये…

मन की बात में पीएम मोदी ने किया जिक्र

बागेश्वर जिले के निवासी दृष्टि बाधित लोक गायक पूरन सिंह राठौर का नाम आज पूरे देश में चर्चा का विषय बना है। आज पूरन राठौर के नाम की चर्चा पूरे देशभर में है। हालांकि इससे पहले कुछ ही गिने चुने लोकगायक है जिनका जिक्र पूर्व प्रधानमं़ित्रयों ने किया हो। उत्तराखंड के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी के गीतों को सुन उस दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी के गीतों की जमकर प्रशंसा की थी। अब यह मुकाम लोकगायक पूरन सिंह राठौर ने पाया है। जब आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका जिक्र किया। आगे पढ़िये…

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दृष्टि बाधित है पूरन राठौर

पूरन राठौर एक ऐसे लोकगायक है जिनके गीतों को सुन आप मंत्रमुग्ध हो जायेंगे। वह हर कला में माहिर है। उनके कई गीत, जागर, न्यौली, भगनौल आ चुके है। जिस तरह से पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर पूरन राठौर ने अपनी कला को लोगों तक पहुंचाया है। वह काबिलेतारीफ है। पीएम मोदी ने कहा कि पूरन ने उत्तराखंड की लोक विधा जागर, न्योली, हुड़काबौल के साथ ही राजुला मालूशाही लोक गाथा के गायन में महारत हासिल की है। उन्होंने उत्तराखंड के लोक संगीत में कई पुरस्कार जीते हैं। पीएम ने लोगों से अपील की कि उनके (राठौर) के बारे में जरूर पढ़ें। आगे पढ़िये…

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मिला उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार

विगत 15 फरवरी को उन्हेें प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्ला खां युवा पुरस्कार मिला। जिसके बाद वह चर्चाओं में थे। 39 साल के लोकगायक पूरन सिंह राठौर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के रीमा निवासी हैं। गीत गाकर वह परिवार को भरण पोषण कर रहे हैं। उनके परिवार में बेटियां रोशनी, नेहा, गरिमा और पुत्र मयंक पत्नी हेमा देवी हैं। जन्म से ही दृष्टि बाधित होने के बावजूद पूरन की लोक कला कूट-कूट कर भरी हुई है। इस कला को उनकी सुरूली आवाज और निखार देती है। उनके कई गीत आज आपको यूट्यूब पर सुनने को मिल जायेंगे। उनका बरयात छू सुपरहिट रहा जिसे सुन आप भी थिरकने को मजबूर हो जायेंगे। पहाड़ प्रभात हमेशा से ही उत्तराखंड के लोक कलाकारों की आवाज और कला को लेखनी के माध्यम से आगे बढ़ाते रहा है। कई लोक गायक और लोक गायिकाओं के जीवन परिचय उनके गीतों के बारे में आपको हमारे न्यूज पोर्टल के संस्कृति काॅलम पर पढ़ने को मिल जायेंगे। लोकगायक पूरन सिंह राठौर को पहाड़ प्रभात की ओर से ढेर सारी शुभकामनाए। ऊपर लिंक पर क्लिक कर आप पूरन राठौर के इस नाॅन स्टाॅप गीत को सुन सकते है।

पहाड़ प्रभात डैस्क

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।