उत्तराखंडः पहाड़ में दिखा विश्व चैंपियन कप्तान का पहाड़ी अंदाज, गांव से लेकर गूगल तक सिर्फ धोनी-धोनी…
Almora News: (जीवन राज)- मंगलवार को जैसे ही भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी पंतनगर एयरपोर्ट उतरे वैसे ही उनकी एक झलक पाने को फैंस बेताब दिखे। आखिरकार 20 साल का महेन्द्र सिंह धौनी अपने गांव अल्मोड़ा जिला स्थित ल्वाली पहुंचे। जहां लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। वहीं धौनी ने पत्नी और बेटी जीवा संग अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना भी की। इस दौरान में पूरे गांव में सिर्फ धौनी के नाम पर चर्चा रही। अल्मोड़ा से लेकर देहरादून तक सिर्फ धौनी और पहाड़ पर लोग एक-दूसरे से बातें करते रहे। ग्रामीणों ने धौनी के साथ सेल्फी भी ली। वहीं बुर्जुगों ने आर्शीवाद भी दिया। साथ ही आज भैयादूज के मौके पर च्यूड़े भी सर पर रख साक्षी और धौनी के दीर्घायु की कामना की। आगे पढ़िए….
बता दंे भारतीय क्रिकेट में महेन्द्र सिंह धौनी का सलेक्शन होने के बाद वह अपने पैतृक गांव नहीं लौटे। उनके पिता पान सिंह धौनी नौकरी की तलाश में छत्तीसगढ़ गये जहां नौकरी करने के बाद वह वहीं बस गये। लेकिन समय-समय अपने गांव ल्वाली आते-जाते रहे। धौनी के परिवार के अन्य लोग अभी भी उसी गांव में है। जब आज महेन्द्र सिंह धौनी अपने गांव पहुंचे तो उनकी एक झलक पाने को कई गांवों के ग्रामीण पहुंच गये। धौनी ने अपने पैतृक घर पहुंचकर ईष्ट देव की पूजा की। आगे पढ़िए….
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद पहाड़ से कई प्रतिभाओं ने पलायन किया। पहाड़ और प्रतिभा को एक ही सिक्के के दो पहलु कहा जाय तो इसमें कोई अतिशोक्ति नहीं होगी। देवभूमि उत्तराखंड ने देश को कई बड़े अभिनेता, सेनाधिकारी, क्रिकेटर और खिलाड़ी दिये है। आने वाले समय में कई प्रतिभाएं अपना हुनर दिखाकर विश्व पटल पर एक अमित छाप छोड़ने की तैयारी में है। पहाड़ से भारतीय क्रिकेट टीम में खेलने वालों में महेन्द्र सिंह धौनी के अलावा, विकेटकीपर रिभष पंत, पवन नेगी, उन्मुक्त ठाकुर, एकता बिष्ट, मानसी जोशी जैसी प्रतिभाओं ने विश्व में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है। इसके अलावा अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर निवासी बैडमिंटन स्टार लक्ष्यसेन ने विश्वभर में अपना डंका बजाया। वहीं नये दौर में नई प्रतिभाएं लगातार आगे आ रही है। आज पहाड़ विश्व पटल पर अपनी धाक जमा रहा, महेन्द्र सिंह धौनी जो वर्षों शहर में रहने के बाद आखिरकार अपने मूल और जड़ों में वापस आये। साथ ही लोगों को संदेश भी दिया किया पहाड़ी कितने भी बड़े ऊंचे पद पर पहुंच जाय, लेकिन अपना पहाड़ अपनी जड़े अपनी बोली हमेशा याद रखता है। धौनी के पहाड़ आने के बाद गांव में ही नहीं सोशल मीडिया के कई प्लेटफाॅर्म और गूगल में भी सिर्फ धौनी छाये रहे।