उत्तराखंड: घर घर पहुंचे छोटे- छोटे बच्चें, बोले फूलदेई छमा देई, जतुक दिछे उदुक सही…

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Haldwani News:आज उत्तराखंड फुलदेई का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया। पहाड़ से लेकर मैदान तक बच्चों ने घर-घर जाकर फुलदई का त्यौहार मनाया। वही शहरों में रहने वाले पहाड़ के लोगों ने भी फुलदेई का त्योहार मनाया। बच्चे सुबह ही घर-घर फूल डालते दिखे। हल्द्वानी, काशीपुर, बाजपुर, कालाढूंगी, लालकुआं समेत कई जगहों पर बच्चों के फुलदेई मनाया।

बता दे कि फूलदेई त्योहार आमतौर पर छोटे बच्चों का पर्व है। पहाड़ पीले फूल से लकदक हो जाते हैं, इस फूल का नाम है। वही जंगलों में बुरांश का फूल भी खिल जाता है दोनों फूलों को मिलाकर बच्चे घर घर जाकर फुलदेई त्यौहार मनाते हैं। “प्योली”….सुख-समृद्धि का प्रतीक फूलदेई त्योहार उत्तराखंड की संस्कृति की पहचान है। बसंत का मौसम आते ही सभी को इस त्योहार का इंतजार रहता है। विशेषकर छोटे बच्चों में इस त्योहार के प्रति उत्सुकता बढ़ती जाती है। घर-घर में फूलों की बारिश होती रहे ..हर घर सुख-समृद्धि से भरपूर हो.. इसी भावना के साथ बच्चे अपने गांवों के साथ-साथ आस-पास के गांव में जाकर घरों की दहजीज पर फूल गिराते हैं और उस घर के लिए मंगलमय कामना करते हैं, जहां घर की मालकिन बच्चों को फूल वर्षा के बदले चावल, गुड़ के साथ दक्षिणा के रूप में रुपए भी देती है। प्योली का फूल इस समय अपने पूरे शबाब पर है, आज उत्तराखंड में फूलदेई का त्यौहार मनाया जा रहा है।

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उत्तराखंड का लोकप्रिय और स्थानीय त्योहार है फूलदेई, साथ ही बसंत ऋतु के आगमन का और नए फूल खिलने का संदेश भी फूलदेई देती है…. और माना यह जाता है की फूलदेई का त्यौहार बिना प्योलीं के फूल के अधूरा ही रह जाता है, प्योली पीले रंग का फूल है जो बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है, जो आजकल पहाड़ों में अपनी छटा बिखेर रहा है।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।