उत्तराखंडः जयमाला के बाद रमेश बाबू के “रमा रम” गीत में झूमे दर्शक, आप भी लिजिए आनंद

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Ruma Ram Kumaoni Song Ramesh Babu Goswami: उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी एक के बाद एक सुपरहिट गीत दर्शकों के बीच ला रहे है। हाल में उनका जयमाला गीत लोगों की जुबां पर छाया हुआ है। इसका क्रेज कम नहीं हुआ कि रमेश बाबू गोस्वामी ने अपना नया गीत रमा रम ने धूम मचा दी है। इन दिनों यह की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सुर्खिया बंटोर रहा है। रमेश बाबू ने एक मझे हुए लोकगायक का परिचय देेते हुए एक के बाद एक सुपरहिट गीत निकाले है। एक उनका गीत रमा रम दर्शकों को पूरी तरह से जम चुका है।

लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी ने खास बातचीत में पहाड़ प्रभात को बताया कि यह गीत पहाड़ में चल रहे शराब के प्रचलन में आधारित है। जिस तरह हर समारोह में शराब के बिना आज लोग काम करने को तैयार नहीं हो रहे है। हमारी नई पीढ़ी शराब की ओर अग्रसर हो रही है। इसी का संदेश समाज को जागरूक करने के लिए उन्होंने अपने नये गीत रमा रम को रिलीज किया है, जो लोगों को खूब पसंद आ रहा है। इंस्टाग्राम पर इस गीत पर सैकड़ों वीडियो बन चुकी है। इससे पहले रमेश बाबू के जयमाला गीत ने धमाल मचाते हुए अपने पिता उत्तराखंड के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी की यादों का ताजा किया है। वैसे भी रमेश बाबू के गीत फूलहड़ न होकर एक खास संदेश देने वाले होते है। उन्होंने पहाड़ में पलायन, बेरोजगारी, सौंदर्य, शराब का प्रचलन, विलुप्त होती संस्कृति पर गाने गाये है। उन्हीं को वह आगे बढ़ाते जा रहे है। इस गीत को रमेश बाबू ने लिखा जबकि संगीत रंजीत सिंह ने दिया हैं। गीत के डिजिटल मीडिया पार्टनर पहाड़ प्रभात और बेतालघाट न्यूज है।

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लोकगायक रमेशबाबू गोस्वामी ने अपने पिता को याद करते हुए बताया कि उनके पिता सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी एक लोक गायक के तौर पर लोगों के दिलों में जगह बनाई। उन्होंने अपनी गायकी से समूचे उत्तराखंड के साथ ही विश्व में अपनी पहचान बनाई। अपनी गायकी से उत्तराखंड का नाम रोशन किया। उन्होंने ऐसे दौर में अपनी गायकी वह उत्तराखंड के संगीत को पहचान दिलाई जब संचार का कोई साधन होता था, ना ऐसे वाद्य यंत्र होते थे। बता दें कि आज लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी अपने पिता की विरासत को संभालते हुए आगे बढ़ रहे है। जिन्होंने अपने गायकी से बड़ा मुकाम हासिल किया है। उनके चैनल को अभी तक 98600 से ऊपर लोग सब्सक्राइब कर चुके है। बस कुछ कदम दूर वह अपने एक लाख सब्सक्राइब पूरे होने से है। आप भी सुनिए उनका ये गीत।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।