शाबाश: अल्मोड़ा की शोभा बनी प्रेरणा, गरीबी को हराया, मेहनत से हासिल की पीएचडी

Almora News: कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों तो कठिन से कठिन रास्ता भी आसान हो जाता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की राजपुरा निवासी शोभा आर्या ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली शोभा ने अपने हौसले, मेहनत और लगन के दम पर अपने परिवार का नाम रोशन किया है।
कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल से पीएचडी पूरी कर चुकी शोभा की सफलता की कहानी संघर्षों से भरी रही है। उनकी पीएचडी शोध निर्देशक प्रोफेसर शालिमा तबस्सुम (एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा) रहीं। इससे पहले शोभा ने पहली बार में ही यूजीसी नेट परीक्षा को पास कर यह साबित कर दिया कि जब जज्बा हो तो कोई भी परीक्षा कठिन नहीं होती।

शोभा हमेशा से ही एक मेधावी छात्रा रही हैं। एमए (संस्कृत) में एसएसजे परिसर अल्मोड़ा से कॉलेज टॉपर रहीं, जहां उन्हें 75 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए। बीए में भी टॉप करने वाली शोभा ने 12वीं में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया था। उनकी मेहनत का हर पन्ना सफलता की कहानी कहता है।
शोभा के पिता ललित प्रसाद आर्या, जो पेशे से एक पेंटर हैं, और माता गीता देवी, अपनी बेटी की इस कामयाबी पर गर्व से फूले नहीं समा रहे। शोभा के पिता बताते हैं कि उन्होंने मजदूरी कर बच्चों को पढ़ाया, और बच्चों ने भी उनके संघर्षों को समझा और दिल से मेहनत की। चार बच्चों में सबसे अधिक मेधावी रही शोभा ने हर मुश्किल को चुनौती की तरह स्वीकार किया।
एक समय ऐसा भी था जब घर में बिजली नहीं थी, और शोभा ने लैंप की रोशनी में पढ़ाई कर परीक्षा दी। आर्थिक तंगी को उन्होंने कभी बहाना नहीं बनने दिया, बल्कि ट्यूशन पढ़ाकर घर की मदद की और खुद को मजबूत बनाया। आज जब शोभा की पीएचडी पूरी हो चुकी है, तो पूरे परिवार और इलाके में खुशी और गर्व का माहौल है। शोभा ने यह सिद्ध कर दिया है कि सपने बड़े हों तो हालात मायने नहीं रखते, बस दिल में जुनून और आंखों में सपना होना चाहिए। शोभा आर्या की यह कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी असीम ऊँचाइयों को छूने का सपना देखता है।