देहरादून: पाठकों की पहली पसंद बनी आभा गर्खाल की पुस्तक “परछाई का घेरा” , जानिए क्या है इसमें खास

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Dehradun News: एक माह पहले “समयसाक्ष्य” देहरादून से प्रकाशित आभा गर्खाल बोहरा की लिखित उपन्यास “परछाई का घेरा” रंग महोत्सव में काफी चर्चित रही। लोगों ने भी इस पुस्तक को पसंद खूब किया है। आपको बता दे कि आभा गर्खाल बोहरा वर्ष 1998 बैच की एक पीसीएस अधिकारी है, और वर्तमान में उत्तराखंड मुक्त विश्विद्यालय में वित्त नियंत्रक के पद पर कार्यरत है। वह एक अच्छी अधिकारी के तौर पर जानी जाती है, उससे कहीं ज्यादा संवेदनशील इंसान भी है।

हमेशा ही लिखने-पढ़ने में रुचि रखने वाली आभा की 2018 में एक कविता संग्रह “आभास” प्रकाशित हुई है।आभास उनका एक स्पेशल बच्चा है, जिसकी कमियों को अपनी ताकत बनाकर पूरे समाज के सामने एक मजबूत माँ होने का उदाहरण पेश किया और बच्चे का हाथ कसकर थाम अपने हृदय में सुप्त पड़े भावों की नब्ज को भी टटोलना सीखा तथा अपने गहन विचारों को लिखना शुरू किया, जिससे धीरे धीरे उनमें साहित्यिक अभिरुचि जगने लगी। अपने दोनों बेटों को ही अपनी ज़िंदगी की प्रेरणा मानने वाली आभा बेहद साहसी और बेलौस बात रखने वाली एक काबिल अफसर भी है। सोशल मीडिया में अपनी पेज” भावों की आजादी:-हिंदी लेखन एवं कविताएं में भी समसामयिकी, कल्पनात्मक व रचनात्मक लेखन करती हैं। जिसे आम लोग, जिनमें महिलाएं ज्यादा होती हैं, पढ़ना पसन्द करते हैं।आभा संवेदनाओं की जीती जागती वाहक है, संवेदनशीलता की महत्ता को जानती है,तथा इन्हीं मुद्दों पर उनकी कलम चलाती है।संस्मरण और लघु यात्रा वृतांत भी वह खूब लिखती है।

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“परछाई का घेरा”यह उनकी पहली उपन्यास है, पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं पर लिखी उनकी यह किताब पठनीय है, वह रंग समुदाय और धारचूला क्षेत्र की पहली ऐसी लेखक बन गयी है।जिनका पहली बार कोई उपन्यास प्रकाशित हुआ है। अपनी पहली किताब के साथ ही अपने समाज की प्रथम उपन्यास लेखक होने का भी गौरव हासिल किया है।

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एक बेहद जिम्मेदारी से भरे पद में कार्यरत रहते और स्पेशल माँ की दायित्वों को निभाते हुए किताब लिखना आसान काम नही है किंतु जीवट और समाज में कुछ नया करने की सोच पालने वाले चुपचाप से अपना कर्तव्य निभाते जाते हैं। समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन करने की ताकत रखने वाले हस्तियों से आने वाली पीढ़ी प्रेरित होती हैं। दुनिया की लीक से हटकर अपनी अलग रास्ता चुनने वालों से भविष्य प्रेरणा लेती है।और ऐसे ही लोग समाज को कुछ सकारात्मक संदेश देने की क्षमता रखते हैं। आज पतनशील की ओर बढ़ रही समाज में ऐसे ही ऊर्जावान,सकारात्मक और बड़ी सोच रखने वाले लोगों की सख्त जरूरत है।

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आभा की किताब “परछाई का घेरा” का प्रथम संस्करण दो माह के भीतर ही पाठकों के द्वारा हाथोंहाथ खरीद लिया गया है। जल्दी ही द्वितीय संस्करण आने की भी संभावना है। आभा लिखती रहें और अच्छी ऊर्जा का प्रसार करती रहे। समाज को बचाकर रखने की हिम्मत सबमें बची रहें।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।