हाँ मैं एक वृक्ष हूँ…

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शहर हो या गाँव हो, धूप हो या छाँव हो,
हूँ वहीं खड़ा हुआ, हाँ मैं एक वृक्ष हूँ…

सींचा किसी ने मुझे खून और पसीने से,
रात और दिन हैं क्या, साल और महीने से…

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बाहें फैलाये हुए आज मैं अडिग खड़ा,
कर्म का ही फल बना, हाँ मैं एक वृक्ष हूँ…

डेरा हूँ पंछियों का आसरा मैं पंथियों का,
फूल फल समेटे हुए प्राणवायु देते हुए…

ताप कम कराया मैंने, बादल बरसाया मैंने,
औषधि की खान देता, हाँ मैं एक वृक्ष हूँ…

पूजते कभी हो मुझे मिन्नतें भी माँगते
काटने से फिर मुझे क्यों हाँथ नहीं काँपते…

नष्ट किया वास तुमने नन्हे परिंदों का,
काट कर मुझे बनाया घर अपने बंदों का…

काटते हो मुझको जैसे काटते हो पीढ़ियाँ,
अंत में बचेगा क्या, बस बचेंगी कौड़ियाँ…

वक़्त है संभल जा प्यारे, वरना पछतायेगा,
धन दौलत और रुतबा, काम कुछ न आएगा…

बात तुझको मैं बताता,राह तुझको मैं दिखाता
आज भी हूँ संग तेरे, हाँ मैं एक वृक्ष हूँ।।

रचनाकार- खुशबू गुप्ता
शिक्षिका, लखनऊ उत्तर प्रदेश

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जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।