उत्तराखंड: अब पहाड़ और बांज का गठजोड़ लेकर आये लोकगायक बीके सामंत, आप भी सुनिये ओ बांज झुपर्याली बांज…

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Pahad Prabhat Exclusive: उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक बीके सामंत एक बार फिर पहाड़ की सुंदरता से रूबरू कराने आये है। इस बार लोकगायक बीके सामंत ने बांज के पेड़ों को लेकर गीत बनाया है जो लोगों को बेहद पसंद आ रहा है। इस गीत के माध्यम से बीके सामंत ने अपनी मधुर आवाज से लोगों का दिल जीत लिया है। इससे पहले लोकगायक बीके सामंत उत्तराखंड को कई बड़े सुपरहिट गीत दे चुके है। आज उत्तराखंड के संगीत जगत में बीके सामंत एक बड़ा नाम है। अपनी गायकी से उत्तराखंड में लोकगायक बीके सामंत ने अलग ही छाप छोड़़ी है। गीतों के बोल से लेकर म्यूजिक तक उनका सबसे अंदाज निराला है।

विलुप्त होते बांज की दिलाई याद

अब पहाड़ में अक्सर पाये जाने वाला बांज पर उन्होंने गीत रचना की है। गीत के माध्यम से बीके सामंत बताते है कि किस तरह पहाड़ में बांज का महत्व है। वह हमारी जिंदगी से कितना करीब है। ऐसा गीत उत्तराखंड को वर्षों बाद सुनने को मिला है। अक्सर पुराने जमाने में ऐसे गीत गाये जाते थे लेकिन धीरे-धीरे यह विलुप्त होते रहे। आज फिर लोकगायक बीके सामंत ने उन विलुप्त होती चीजों को अपने शब्दों के माध्यम से उजगार किया है। जिसके बोल है ओ बांज झुपर्याली बांज, ओ बांज झुपर्याली…। एक शानदर और बेहतरीन गीतों में से एक है। यह गीत उनके चैनल गढ़वाल-कुमाऊं वरियर्स से रिलीज हुआ है।

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साढ़े चार करोड़ ऊपर पहुंचा थल की बजारा

लोकगायक बीके सामंत ने पहाड़ प्रभात से विशेष बातचीत की। सामंत ने बताया कि बांज पहाड़ की जान है। बांज पहाड़ों की शान ही नहीं बल्कि जान भी है। क्योंकि पहाड़ों से बहने वाला कल-कल पानी इन्हीं बांज के पेड़ों की जड़ों से निकलता है। बांज पहाड़ में बुग्यालों की शान है। गाड़ और गधेरों में बांज है। धार-धार में बांज है। बस इसी बांज के महत्व को उन्होंने अपने शब्दों में पिरोया है। इस गीत को खुद बीके सामंत ने लिखा है जबकि म्यूजिक अरेंज उमर शेख ने किया है। सामंत की मधुर आवाज इस गीत में चार चांद लगाने का काम कर रही है। इससे पहले बीके सामंत का थल की बजारा गीत सुपरहिट रहा। आज भी इस गीत ने शादी-पार्टियों में अपना कब्जा जमाया है। इस गीत की चर्चा उसके साढ़े चार करोड़ सेऊपर व्यूज से देखी जा सकती है।

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फिर लोगों के दिलों में छा गये सामंत

थल की बजारा के अलावा लोकगायक बीके सामंत ने पंचेश्वर बांध, बिन्दुली, तु ऐ जाओ पहाड़, यो मेरो पहाड़, सात जनम सात वचन, देवताओं का थान, मेरी बिमू जैसे सुपरहिट गीत दिये। इन गीतों से सबसे ज्यादा चर्चा जिन गीतों की रही वो गीत है। तू ए जाओ पहाड़, यो मेरो पहाड़ और थल की बजारा। इन तीन गीतों ने उत्तराखंड के संगीत जगत में एक नई जान फूंक दी। सामंत ने इन गीतों के माध्यम से देश-विदेशों में रह रहे लोगों को अपनी संस्कृति के प्रति आकर्षित करने का काम किया। अब ओ बांज झ़ुपर्याली से लोगों का दिल जीत लिया। आप भी जरूर सुने ओ बांज झुपर्याली बांज, ओ बांज झुपर्याली…

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।