स्वाभिमान
अपनो का दिल बहलाने की खातिर
अपने दिल को दुखाया
जिन दोस्तो को दिल मे बसाया
उन्होने हमे क्यो आजमाया
दोस्ती दिल से रूह का अटूट बंधन
होती है।
दुख इस बात का है।
दोस्तो ने ही कठपुतली बनाना चाहा
मंजूर ना था जब हमे
आत्मा को मार कर स्वाभिमान को ठेस पहुंचाना। ।
उस दिन से खुद को भीड़ मे तन्हा पाया।
भीड़ मे अकेले, अकेले मे तूफान आया।।
हम संभल जाएगे , दोस्त दुख तेरे लिए है।
मेरी दोस्ती की सच्चाई तू देख न पाया।
निभाएगे दोस्ती मरते दम तक
माफ करना स्वाभिमान को मार कर हम न जी पाएगे।
रूपा चचरा, कटक उड़ीसा।