हल्द्वानी:मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में हुआ थोरैसिक के चार मरीजों सफल इलाज
Haldwani News: रोबोटिक संग सर्जरी के क्षेत्र में हाल में काफी प्रगति हुई है, जिनके बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली (गाजियाबाद) ने आज एक अवेयरनेस सेशन आयोजित किया। इस दौरान घोरेसिक और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के लिए उपलब्ध इलाज की जानकारी दी गई।
इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में धोरेसिक व रोबोटिक सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर प्रमोज जिंदल के साथ हल्द्वानी के वो चार मरीज भी रहे जिनका यहां सफल इलाज किया गया। इन मरीजों में 33 वर्षीय मोहसिन खान, 44 वर्षीय मनिल लाल वर्मा, 60 वर्षीय कृष्ण राम आर्य और 23 वर्षीय रोहित कुमार थे।
जानकारी देते हुए डॉक्टर प्रमोज जिंदल ने बताया, “33 वर्षीय मोहसिन खान जब हमारे पास पहुंचे, तब उन्हें दो सप्ताह से बार-बार खून की खांसी (हीमोप्टाइसिस) की शिकायत हो रही थी। ज्यादा ब्लीडिंग के डर से वो शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से परेशान थे।सीटी स्कैन और जांच में सामने आया कि मरीज के दाहिने फेफड़े के निचले हिस्से में परेशानी है। इसके अलावा, हमने उनकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच लेकिन कोई बड़ा मसला नहीं पाया गया। इस तरह की बीमारी का इलाज करने के लिए सर्जरी की एकमात्र विकल्प था जो उन्हें पूरी तरह ठीक कर सकता था। चेस्ट बॉल की वजह से सर्जरी और चुनौतीपूर्ण थी। हमने सफलतापूर्वक राइट लोअर लोबेक्टमी की और फेफड़ों के खराब हिस्से को पूरी तरह हटा दिया और इस सर्जरी के बाद मरीज के सभी लक्षण खत्म हो गए और अब वो सही हालत में हैं।
वहीं अन्य दो मामलों की जानकारी देते हुए डॉक्टर जिंदल ने बताया, “41 वर्षीय मनिल लाल वर्मा को प्लूरल मेसोथेलियोमा (लेफ्ट) नामक एक बीमारी का पता चला था, जहां कैंसर की एक मोटी परत फेफड़ों को कवर करती है। डॉक्टरों की टीम ने शुरू में तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए उसके सीने में एक ट्यूब डालने का फैसला किया और इस कैंसर का डायग्नोज किया। यह एक बड़ी सर्जरी थी जिसमें पूरे फेफड़े के साथ-साथ इसके आवरण, दिल की कवरिंग (पेरीकार्डियम) और सांस की मांसपेशियों (डायाफ्राम) को हटा दिया गया। पूरी सर्जरी लगभग सात घंटे तक चली। मरीज को अस्पताल में ठीक होने में लगभग 10 दिन लगे। बाद में कीमो और रेडियोथेरेपी भी करवाई गई।यह न केवल एक दुर्लभ बल्कि एक बहुत ही घातक ट्यूमर था और सर्जरी के बाद वो पूरी तरह ट्यूमर मुक्त हो गया।
इसके अलावा 60 वर्षीय कृष्ण राम आर्य और 23 वर्षीय रोहित कुमार को बार-बार खांसी में खून की शिकायत थी। कृष्ण राम को 6 महीने और रोहित कुमार को 3 महीने से ये शिकायत हो रही थी। ज्यादा ब्लीडिंग के डर से ये दोनों ही काफी घबराए हुए थे। सीटी स्कैन समेत अन्य जांच रिपोर्ट से पता चला कि उनके फेफड़ों के ऊपरी हिस्से में कैविटी थी, उसमें फंगल बॉल (एस्पेरगिलोमा) थी. इस तरह के मामलों में कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं किया जाता, और मरीज को पूरी तरह से ठीक करने के लिए सर्जरी ही की जाती है। लेकिन चेस्ट बॉल्स की वजह से ये सर्जरी ज्यादा चुनौतीपूर्ण थी। फेफड़े के खराब हिस्से को सर्जरी के जरिए पूरी तरह निकाल दिया गया। सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो गए और अब दोनों ही अच्छी हालत में हैं।
मेडिकल एडवांसमेंट के बारे में डॉक्टर प्रमोज जिंदल ने बताया, “पिछले कुछ वर्षों में थोरैसिक सर्जरी से जुड़ी रोबोटिक तकनीक तेजी से विकास हुआ है। चेस्ट और पल्मोनरी सिस्टम में परेशानी वाले मरीजों के लिए इलाज की नई नई तकनीक आ गई हैं जिससे इंट्राऑपरेटिव और पोस्ट ऑपरेटिव रिजल्ट बेहतर हुए हैं। अतीत में की गई ओपन सर्जरी की तुलना में एडवांस धारसिक रोबोटिक सर्जरी की मदद से अटिस मामलों में भी सेफ्टी के प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है, जिससे जीवन में सुधार आता है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, वैशाली में थोरैसिक रोबोटिक सर्जरी विभाग में धॉरेंसिक और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के मरीजो के इलाज के लिए कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं। चाहे पोस्ट ट्यूबरकुलोसिस सर्जरी हो, फेफड़े और चेस्ट के ट्यूमर को हटाने की सर्जरी ही, सीओपीडी और अस्थमा के लिए सर्जरी हो, डायाफ्राम और चेस्ट वॉल में विकृतियां हों, छाती/फेफड़े का ट्रॉमा या सिंपल डायग्नॉस्टिक ब्रोंकोस्कोपी, मैक्स अस्पताल वैशाली में एक ही छत के नीचे हर प्रकार के फेफड़ों के रोग का इलाज किया जाता है। अस्पताल में स्किल्ड सर्जन की टीम और बेस्ट उपकरण हैं। जिससे कारण यहां मरीजों को बेस्ट इलाज मिलता है।