लोककला: कुमाऊं की पारंपरिक कला को संवारने में जुटी पहाड़ की बेटी, ऐपण कला से गुंजन ने बनाई नई पहचान

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Pahad Prabhat News Bhimtal: उत्तराखंड का युवावर्ग संस्कृति के प्रचार-प्रसार में जुटा हुआ है। लोकसंगीत से लेकर पहाड़ की संस्कृति तक। उत्ताखंड की हर पारपंरिक विधा को संवारने में जुटे है। आज देवभूमि की बेटियां हर क्षेत्र में आगे है। सेना से लेकर खेल के मैदान तक, बालीवुड जगत से पहाड़ की संस्कृति को संवारने का काम पहाड़ की बेटियां बखूबी कर रही है। इन्हीं नामों में से एक नाम है गुंजन मेहरा। पहाड़ की इस बेटी ने अपनी कला का लोहा मनवाते हुए कुमाऊंनी की पारम्परिक कला के दर्शन आज के युवाओं को कराये है।

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जी हां हम बात कर रहे है भीमताल के मेहरागांव निवासी गुंजन मेहरा की। जिन्होंने अपनी ऐपण कला से कुमाऊंनी की पारंम्परिक कला को संवारने का काम किया है। पहाड़ों मेंं ऐपण आपको हर घर में देखने को मिल जायेंगे। गुंजन बताती है कि वह दो सालों सेे ऐपण कला का प्रचार-प्रसार कर रही है।वर्तमान में वह सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा से पढ़ाई कर रही है।

Aipan art UTTARAKHAND

ऐपण को संवार रही गुंजन

पहाड़ की एक बेटी का पारंम्परिक कुमाँऊनी कला को बढ़ावा देने का काम कर रही है। गुंजन इस कला को सीखने के साथ हीइसके महत्व को समझाने के लिए युवाओं और महिलाओं को प्रोत्साहित कर रही है। साथ ही वह उन्हें इस तरह प्रशिक्षित करती है। जिससे वे इस पारंम्परिक कौशल का उपयोग आय के लिए भी कर सके। वह अपने ग्राहकों के लिए अनुकूलित उत्पाद बनाने के लिए ऐपण डिजाइनों को नेमप्लेटस दियें, कोस्टर्स, पूजा थाल इत्यादि में पेंट करती है।

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युवाओं के लिए बड़ा संदेश

गुंजन का कहना है कि आने वाले पीढिय़ों में कुमाँऊ की पारंम्परिक संस्कृति के इस बेशकीमती हिस्से को विकसित कर सकेगें। आज पहाड़ से पलायन तेजी से हो रहा है ऐसे मेंंं ज्यादातर लोग शहरों में बस रहे है। पहाड़ों में संयुक्त परिवार की कमी इस कला को विलुप्त कर रहा है। आज कई उत्तराखंड के बाहर पल-बढ़े युवाओं को ऐपण शब्द के बारे में पता भी नहीं है, अगर यह सिलसिला जारी रहा तो आने वाले समय में इस लोक कला की धरोहर, इससे जुड़ी सांस्कृतिक मान्यताएं आगे चलकर विलुप्त हो जायेंगे। कुमाँऊ की इस शानदार विरासत और धार्मिक महत्व के शिल्प को सहेजने और पुनजीर्वित करने की जरूरत है। इसी विरासत को बचाने में पहाड़ की बेटी गुंजन मेहरा जुटी है।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।