उत्तराखंड: अब पहाड़ की बेटी ने किया देवभूमि का नाम रोशन, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर लहराया तिरंगा
UTTARAKHAND NEWS: 75 स्वतंत्रता दिवस पहाड़ के नाम रहा। एक ओर पहाड़ के पवनदीप राजन ने इंडियन आइडल का खिताब जीतकर पूरे देश का दिल आपनी जादुई आवाज से जीता तो वहीं दूसरी ओर पहाड़ की बेटी शीतल ने दुनियां में देवभूमि का नाम रोशन किया है। शीतल ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया। शीतल की सफलता पर पूरे उत्तराखंड में जश्र का माहौल है।
एवरेस्ट विजेता और सीबीटीएस के संस्थापक योगेश गर्बियाल ने बताया कि शीतल के पिता पिथौरागढ़ में लोकल टैक्सी चलाकर परिवार का न पोषण करते हैं। लेकिन बेटी की प्रतिभा को देखकर उन्होंने बेटी का सहयोग किया। विभिन्न संस्थाओं ने आगे आकर सहयोग किया और इसी साल शीतल को द हंस फाउंडेशन ने दुनिया की सबसे खतरनाक मानी जाने वाली चोटी अन्नपूर्णा के लिए स्पांसर किया था।
एल्ब्रुस पर्वत एक सुप्त ज्वालामुखी है जो कॉकस क्षेत्र की कॉकस पर्वत शृंखला में स्थित है। इसकी ऊंचाई 5642 मीटर है। क्लाइम्बिंग बियॉन्ड द समिट्स की ओर से आयोजित चार सदस्यों की टीम को 25 साल की युवा महिला पर्वतारोही शीतल लीड कर रही थीं। शीतल के नाम सबसे कम उम्र में कंचनजंगा और अन्नपूर्णा फतह करने का रिकार्ड है।
15 अगस्त को दोपहर एक बजे एल्ब्रुस की चोटी पर तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया। मात्र 48 घंटे के अंदर बेस कैंप से समिट करना बहुत ही मुश्किल था और बहुत कम लोगों को ऐसा मौका मिलता हैं। एल्ब्रुस जाने से पहले शीतल और उसकी टीम ने उत्तराखंड के हिमालय में पर्याप्त ट्रेनिंग की थी और इसी का नतीजा था की टीम रिकॉर्ड समय पर समिट कर पायी।