उत्तराखंडः नैनीताल हाई कोर्ट ने निरस्त किया सरकार का नियम, 32 साल बाद वीरांगना को मिलेगी पेंशन…

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Nanintal News: स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को इस आधार पर पेंशन से वंचित नहीं रखा जा सकता कि सेनानी दो माह तक जेल में नहीं रहा। प्रदेश सरकार की ओर से 2014 में बनाया गया वह नियम हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है, जिसमें प्रावधान था कि उन्हीं सेनानियों के आश्रितों को पेंशन का लाभ देय होगा, जो कम से कम दो महीने जेल में रहे हों। हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानी की वीरांगना को आवेदन के बाद एकाएक नियम बदल जाने से नहीं दी जा रही पेंशन पर बेहद तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की वीरांगना को आवेदन की तिथि से अब तक की पेंशन का भुगतान करने का आदेश पारित किया है। आगे पढ़िये…

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कोर्ट ने कहा कि जिन स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग व संषर्ष की बदौलत हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं, उनके आश्रितों को पेंशन के लिए चार दशक का इंतजार करना पड़ा। यह बेहद कष्टदायक है। कोर्ट ने इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के पेंशन के लिए सरकार का 2014 में बनाया गया नियम भी रद कर दिया है। आगे पढ़िये…

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वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ के समक्ष हल्दूचौड़ (नैनीताल) के गंगापुर कब्डाल निवासी मोहिनी देवी की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई। याचिका में मोहिनी ने कहा है कि उनके पति मथुरा दत्त कब्डाल की 1979 में मृत्यु हो गई थी लेकिन उनको पेंशन नहीं दी जा रही है। उनके पति 1946 में ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने पर जेल गए थे। उन्हें दो माह के कारावास की सजा सुनाई गई थी।  आगे पढ़िये…

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मोहिनी ने पति की मृत्यु के बाद 1990 में प्रशासन के समक्ष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित पेंशन के लिए आवेदन किया। पट्टी पटवारी ने रिपोर्ट लगाई और अपर जिलाधिकारी ने संस्तुति सहित प्रकरण शासन को भेजा। 2018 में गृह विभाग उत्तराखंड ने पेंशन का आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया कि 2014 में पुराना नियम बदल दिया गया है। अब उसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी या आश्रित को पेंशन दी जाएगी जो न्यूनतम दो माह तक जेल में रहा हो। आगे पढ़िये…

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याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उनके पति के नाम पर एनडी तिवारी ने विद्यालय सभागार बनाया। शिलापट में भी उनका नाम दर्ज है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सरकार के 2014 में बदले गए नियम को निरस्त करते हुए वीरांगना को आवेदन के वर्ष 1990 से अब तक की पेंशन का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। 

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जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।