कारगिल विजय दिवस: पढ़िये देवभूमि के 75 वीरों के कारगिल युद्ध की वीर गाथा, 37 जांबाजों को मिला था बहादुरी का वीरता पदक
कारगिल दिवस पर पहाड़ प्रभात विशेष: देवभूमि को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य किस्से खुद में समेटे हुए है। यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है। यहां के युवाओं का पहला लक्ष्य सेना में भर्ती होना है। वर्षों से चली आ रही यह परम्परा आज भी जारी है। आज देशभर में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। कारगिल युद्ध में देश के 526 जवान शहीद हुए थे। कारगिल युद्ध की वीर गाथा भी वीरभूमि के जिक्र बिना अधूरी है। देवभूमि के 75 वीरों ने इस युद्ध में देश रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए। उन वीरों को पहाड़ प्रभात शत्-शत् नमन करता है।
उत्तराखंड के वीरों के अदम्य साहस के किस्से हर जुबां पर
देवभूमि में हर घर एक फौजी है। ऐसा कोई पदक नहीं जो उत्तराखंड केे जांबाजों को न मिला हो। भारत मां की रक्षा के लिए कुर्बान होने वाले जांबाजों में उत्तराखंड के वीरों का कोई सानी नहीं हैं। जब-जब देश की आन-बान पर कोई संकट आया तब-तब देेवभूूमि के जाबांजों ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया। यही वजह है कि उत्तराखंड के वीरों के अदम्य साहस के किस्से हर जुबां पर होते हैं। वर्ष 1999 के करगिल युद्ध में उत्तराखंड के जाबांज सबसे आगे खड़े मिले। 1999 में हुए कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया था। जबकि 233 सैनिक घायल हुए थे।
37 जवानों को मिला बहादुरी का पुरस्कार
करगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी। इनमें 37 जवान ऐसे थे जिन्हें युद्ध के बाद उनकी बहादुरी के लिए पुरस्कार भी मिला था। करगिल युद्ध में भी उत्तराखंड के वीरों ने हर मोर्चे पर अपने युद्ध कौशल का परिचय देते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाए थे। इस युद्ध में किसी मां ने अपना बेटा खोया तो किसी पत्नी ने अपना सुहाग और कई घर उजड़ गये। फिर भी न ही देशभक्ति का जज्बा कम हुआ और न ही दुश्मन को उखाड़ फेंकने का दम। वर्तमान में भी राज्य के हजारों लाल सरहद की निगह बानी के लिए मुस्तैद हैं।
महावीर चक्र विजेता : मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी।
वीरचक्र विजेता: कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशिभूषण घिल्डियाल, रुपेश प्रधान व राजेश शाह।
सेना मेडल विजेता: मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री, हरि बहादुर, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह और संजय।
मैंस इन डिस्पैच : राम सिंह, हरिसिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार।
वीरों की शहादत को कभी नहीं भुला सकता पहाड़
कारगिल युुद्ध में भारतीय सेना ने पाक सेना को चारों खाने चित कर विजय हासिल की। कारगिल योद्धाओं की बहादुरी का स्मरण करने व शहीदों को श्रद्धाजलि अर्पित करने के लिए 26 जुलाई को प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। देवभूमि के सर्वाधिक सैनिकों ने कारगिल युद्ध में शहादत दी। एक छोटे राज्य के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। शहादत का यह जज्बा आज भी पहाड़ भुला नहीं पाया है।
किस जनपद से कितने शहीद
देहरादून 28
पौड़ी 13
टिहरी 08
नैनीताल 05
चमोली 05
अल्मोड़ा 04
पिथौरागढ़ 04
रुद्रप्रयाग 03
बागेश्वर 02
ऊधमसिंह नगर 02
उत्तरकाशी 01
गढ़वाल राइफल्स के 47 जवान हुए थे शहीद
कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल्स के 47 जवान शहीद हुए थे, जिनमें 41 जाबाज उत्तराखंड मूल के ही थे। कुमाऊं रेजीमेंट के 16 जाबाज शहीद हुए थे। जवानों ने कारगिल, द्रास, मशकोह, बटालिक जैसी दुर्गम घाटी में दुश्मन से जमकर लोहा लिया। युद्ध में वीरता प्रदर्शित करने पर मिलने वाले वीरता पदक इसी की बानगी है।