हल्द्वानी: चार दशक की मेहनत पर हाईकमान का हाथ, कांग्रेस मैदान में उतरी ललित के साथ
Haldwani News: कांग्रेस पार्टी में टिकट को जो अनुमान लगाया जा रहा था, उसी पर पार्टी हाईकमान ने मोहर भी लगाई। पिछले 32 सालों से पार्टी की निस्वार्थ भाव से सेवा करते आ रहे संषर्घशील व राज्य आंदोलनकारी को कांग्रेस ने अपना मेयर पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस में अन्य दावेदारों के मुकाबले ललित जोशी सबसे मजबूत माने जा रहे थे, बकायदा उन्होंने आवेदन के दिन स्वराज आश्रम में अपनी ताकत भी शक्ति प्रदर्शन कर दिखाई। कांग्रेस कार्यकर्ता भी चाहते थे कि मेयर पद का टिकट ललित जोशी को ही मिले, पहली बार कांग्रेस हाईकमान ने सही फैसला लेते हुए सबसे मजबूत दावेदार को भाजपा से सीधी टक्कर लेने के लिए मैदान में उतारा है। जिसके बाद अब हल्द्वानी मेयर सीट पर घमासान देखने को मिलेगा।
32 सालों की मेहनत लाई रंग
गौरतलब है कि 32 सालों से कांग्रेस पार्टी के सच्चे सिपाही रहे, ललित जोशी का बड़ा जनाधार है, जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिल सकता है। छात्र जीवन से लेकर राज्यआंदोलन में भागीदारी ललित जोशी को और मजबूत बनाती है। जीं हां 23 नवंबर वर्ष 1971 को हल्द्वानी में जन्मे ललित जोशी ने अपने जीवन को समाज और राजनीति के लिए समर्पित कर दिया। उनके माता-पिता ने उनका नाम यूं ही ललित नहीं रखा। ललित का अर्थ होता है कोमल, सुंदर प्यारा, ललित जितने कोमल अपने स्वभाव से है, उनके ही संघर्षशील भी है, चाहे पार्टी में कैसी भी स्थिति रही, लेकिन ललित ने कभी अन्य नेताओं की भांति बगावत का सुर नहीं अपनाया। इसी का इनाम उन्होंने अब हाईकमान ने दिया है।
छात्र राजनीति से बनाई बड़ी पहचान
स्नातक शिक्षा में ललित जोशी ने अपने जीवन में शिक्षा और संघर्ष का अद्भुत सामंजस्य स्थापित किया। उनकी जीवनसंगिनी कविता जोशी हमेशा उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहीं। पेशे से व्यवसायी, ललित जोशी ने अपने काम को सामाजिक सरोकारों से जोड़ा। आज ललित जोशी कांग्रेस में एक बड़े नेता के रूप में उभरकर सामने आये। वर्षों से भट्टी में तपे ललित के रूप में कांग्रेस के पास हल्द्वानी नगर निगम चुनाव में उलटफेर करने का बड़ा मौका है। छात्र जीवन से राजनीति शुरू करने वाले ललित जोशी ने वर्ष 1991 में नैनीताल एनएसयूआई के सचिव के रूप में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने छात्र संघ और कांग्रेस पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी भूमिका निभाई। वर्ष 1995 एमबीपीजी महाविद्यालय, हल्द्वानी के छात्र संघ के सचिव बने। फिर ललित ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 1998-99 में अध्यक्ष, छात्र संघ, एमबीपीजी महाविद्यालय जीत हासिल कर छात्र राजनीति में दबदबा बनाया। इसके बाद ललित यही नहीं रूके, वर्ष 1999-2000 अध्यक्ष, छात्र महासंघ, कुमाऊँ विश्वविद्यालय भी उन्होंने अपनी झोली में डाली।
कार्यकर्ताओं और हाईकमान की पहली पसंद
इसके बाद तो उन्होंने पृथक राज्य के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया और उत्तराखंड राज्य आंदोलन में कूद गये। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में उनकी भागीदारी ने उन्हें एक समर्पित राज्य आंदोलनकारी के रूप में पहचान दिलाई। उन्होंने जमरानी बाँध आंदोलन और हल्द्वानी संघर्ष समिति जैसे महत्वपूर्ण अभियानों का नेतृत्व किया। पार्टी ने युवा जोश और अपनी भविष्य के नेता को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव के पदा से नवाजा। इसके अलावा वह सामाजिक क्षेत्र में कई पदों पर विराजमान रहे। वर्ष 2003-06 तक वह कुमाऊँ मोटर ओनर यूनियन के अध्यक्ष/प्रबंधन प्रमुख रहे। वर्ष 2004-07 में वह व्यापार कर समिति, उत्तराखंड सरकार के उपाध्यक्ष बनाये गये। ललित जोशी ने हल्द्वानी संघर्ष समिति के समन्वयक के रूप में स्थानीय मुद्दों को सुलझाने के लिए निरंतर काम किया। उनके नेतृत्व में अनेक सामाजिक आंदोलनों को सफलता मिली। उस दौर के नेताओं ने जिस युवा का परखा वह आज पार्टी के काम आये और पार्टी में मेयर पद के लिए हल्द्वानी से सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर हाईकमान और कार्यकर्ताओं की पहली पसंद बन गये। देर रात हाईकमान ने भी उनके नाम पर मोहर लगाकर कार्यकर्ताओं के साथ ही राज्य आंदोलन ललित जोशी को उनकी ईमानदारी और संघर्ष का इनाम दिया।