लोकसंगीत : गायक राजेन्द्र ढैला के पहले गीत ने मचाया धमाल, “पहाड़ ल्या रयूं” गीत के शब्दों से जीता लोगों का दिल…

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PAHAD PRABHAT HALDWANI- (JEEVAN RAJ): आपने अभी तक कई कुमाऊंनी और गढ़वाली गीत सुनें होगें, लेकिन आज तक आपको शुद्ध पहाड़ी गीत कम ही सुनने को मिले होगें। शुद्ध का मतलब यहां है आज के फूलहड़ भरे गीत जिनका कोई तुक है ना मिजाज। ऐसे दौर में पिछले कई सालों से उत्तराखंड की भाषा और लोक संस्कृति को संवार रहे लेखक व गायक राजेन्द्र ढैला का गीत इन दिनों पूरे उत्तराखंड ही नहीं बल्कि बाहरी राज्यों में रह रहे प्रवासियों की पहली पसंद बना है। यह गीत हाल ही में ओहो रंगमंच यू-ट्यूब चैनल से रिलीज हुआ है। जिसे लोग खूब पसंद कर रहे है।

सोशल मीडिया पर छायी टीम घुघुती जागर

इस टीम घुघुती जागर के गायक राजेन्द्र सिंह ढैला ने गाया है। टीम घुघुती जागर लंबे समय से उत्तराखंड की भाषा और लोक संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रही है। लेखक राजेन्द्र ढैला, राजेन्द्र प्रसाद और गिरीश शर्मा की जोड़ी आज पूरे उत्तराखंड में छायी है। अब राजेन्द्र ढैला का पहला गीत पहाड़ ल्या रयूं रिलीज हुआ है। इस गीत को खुद लेखक राजेन्द्र ढैला ने लिखा है जिसमें शुद्ध पहाड़ी शब्दों का शानदार मिश्रण किया गया है जो आपको शायद ही आज के कुमाऊंनी गीतों में सुनने को मिलेंगे।

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लोक संस्कृति और भाषा आगे बढ़ाना हमारा उद्देश्य: ढैला

राजेन्द्र ढैला एक शानदार लेखक के साथ ही एक बेहतरीन गायक भी है जो आपको उनके गीत पहाड़ ल्या रयूं में सुनने को मिल जायेगा। इस गीत को ओहो रेडियो के स्टूडियो देहरादून में शूट किया गया है जिसमें आपको आरजे काव्य भी साथ में झूमते नजर आयेंगे। गायक राजेन्द्र ढैला ने पहाड़ प्रभात से विशेष बातचीत में बताया कि उनका उद्देश्य उत्तराखंड की लोक संस्कृति और भाषा को आगे बढ़ाना है। उनकी टीम घुघुती जागर लगातार लोगों तक पहाड़ की संस्कृति और रीति-रिवाजों को सोशल मीडिया के जरिये पहुंचाने का प्रयास कर रही है।

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OHO RADIO GHUGHUTI JAGAR

पहाड़ी शब्दों का शानदार मिश्रण

बता दें कि इस गीत में पहाड़ की घुघुती पक्षी, काफल, पहाड़ की सुंदरता, मंदिरों का शानदार वर्णन किया गया है। साथ ही पहाड़ी लोगों की पसंद झोली- भात, जंगल में ग्वालों के गीत का जबरर्दस्त मिश्रण किया है। खजूर, भट्ट की चुडक़ानी, आलू के गुटके और भट्ट के डूबकों के स्वाद और हरैले के त्यौहार से पहाड़ के रीति-रिवाजों पर फोकस किया है। कुल मिलाकर यह गीत आपको पहाड़ की पुरानी चीजों के याद दिलाते हुए झूमने पर मजबूर कर देगा।

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पहाड़ ल्या रयूं ने बनाई पहचान

गायक व लेखक राजेन्द्र ढैला पिछले वर्ष आरजे काव्या ने अपने यूट्यूब चैनल उत्तर का पुत्तर पर उनकी टीम घुगुती जागर का इंटरव्यू लिया था। इस दौरान राजेंद्र ढैला अपना लिखा गीत आपूण मन मा पहाड़ ल्या रयूं गाकर सुनाया था तो आरजे काव्य को यह गीत भा गया उन्होंने टीम घुघुती जागर से इस गीत को रिकॉर्ड कराने का वादा कर दिया। जिसे उन्होंने पूरा कर अपना वादा निभाया है। अगर आपने अभी तक यह गीत नहीं सुना है तो एक बार जरूर सुनें जिसे सुन आप अपने कदमों को थिरकने से रोक नहीं पायेंगे।

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जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।