क्यों उम्मीद लगा बैठे हो…

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दुनिया में हर कोई परेशान हुए बैठा है
मोहलत नहीं सोचने का जरा भी फिर भी
दिमाग पर बेवजह जोर दिए बैठा है
जरा संभल जा, वक्त बचा है थोड़ा अभी भी।

सभी अपने हीं मन का मालिक बने बैठे हैं
बसेरा तो जमीं है, आसमां से उम्मीद लगा बैठे हैं
थोड़े दिनों का मेहमान है सभी इस जहां के
अपना घर तो खुदा अपने पास बना बैठे हैं।।

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ये तेरा ये मेरा कब तक बैठे करते रहोगे
अपने हीं रूह को क्यों दागदार बना बैठे हो
ढूंढो कभी अपने लिए भी, फुर्सत के दो पल
इस तरह क्यों तुम, बहारों से दूर हुए बैठे हो।

निकलो कभी घर से, खूबसूरत नजारे झांक लो
कि एक मुद्दत से, क्यूं तुम खामोश हुए बैठे हो
जी लो हर वो पल, कुदरत ने जो तेरे लिए बख्शा है
कोई और जन्नत दिखाए, इस इंतजार में क्यों बैठे हो.!!

                                   पूनम झा,नई दिल्ली।
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जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।