उत्तराखंड: नैनीताल में शगुन ने मिट्टी और लकड़ी से किया अनोखा अविष्कार, लोग को भा रहे भूकंप रोधी आकर्षक घर

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Pahad Prabhat News Nainital: पहाड़ों में आपदा से अक्सर लोग प्रभावित रहते है। हर साल कई लोग आपदा की चपेट में आ जाते है। लेकिन अब उनके लिए राहत भरी खबर है। क्योंकि दिल्ली निवासी एक युवती ने भूकंप जैसी आपदा से निपटने के लिए एक बड़ी खोज की है। जिसके तहत अगर आप अपना घर बनाते है तो आप बिल्कुल सुरक्षित है। भूकंप से इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। दिल्ली से नैनीताल जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र मेहरोड़ा पहुंची युवती ने मिट्टी और लकड़ी की मदद से भूकंप रोधी घर बनाए हैं जो बेहद आकर्षक है। इन घरों को देखते ही लोग इनकी तरफ खींचे आ रहे है। इन घरों की खासियत यह है कि यह आपको भूकंप से बचायेंगे। घर बनाने की इस विधि को सीखने के लिए करीब 12 देशों के लोग नैनीताल पहुंचने लगे है। स्थानीय लोगों में भी ये घरों आकर्षक का केन्द्र बने है।

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भूकंप दुनियां की एक ऐसी दैवीय आपदा है जो चंद मिनटों में बड़ी से बड़ी इमारतों को तबाह कर देती है। आज के दौर में जहां लोग ईट और सीमेंट से घरों को भव्य बना रहे है लेकिन वह भूकंप के एक झटके में धराशायी हो जाते है। ऐसे में दिल्ली निवासी शगुन सिंह के द्वारा तैयार किये घर लोगों को भूकंप से बचाने में मददगार साबित होंगे। शगुन सिंह के द्वारा नैनीताल के दूरस्थ गांव मेहरोड़ा में मिट्टी के घर बनाए जा रहे हैं जो बेहद सुरक्षित और आकर्षक हैं।

shagun singh uttarakhand

बातचीत में शगुन बताती है कि वर्ष 1991 में उत्तरकाशी में आये भूकंप ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस आपदा में भारी तबाही हुई थी। कई लोगों की मौत हो गई थी। सीमेंट और ईट से बने घर पूरी तरह से तहस-नहस हो गये थे, बचे थे तो सिर्फ पत्थर और मिट्टी से बने घर। ऐसे में उन्हें ख्याल आया क्यों ना भूकंप रोधी घरों का निर्माण किया जाय। अपने इसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वह दिल्ली से नैनीताल के मेहरोड़ा गांव पहुंची। यहां पहुंचकर उसने अर्थ बैग, कॉब, एडोबी, टिंबर फ्रेम, लिविंग रूम तकनीक से कई तरह के घर बनाने शुरू कर दिये जो बेहद सुंदर हैं और एकदम सुरक्षित भी। शगुन ने बताया कि विश्व भर से करीब 22 से अधिक देशों के लोग घरों को बनाने का प्रशिक्षण सीखने उनके पास आ चुके हैं। इसके अलावा देश के कई बड़े आर्किटेक्चर इंस्टीट्यूट के छात्र और प्रोफेसर भी इस कला को सीखने के लिए उनके पास आ रहे हैं।

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भूकंप रोधी घरों के बारे में जानकारी देते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. पीएस चनियाल बताते हैं कि मिजोरम समेत जापान व विश्व के अन्य देशों जहां भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। वहा भी इसी तरह के घरों का निर्माण किया जाता है। चनियाल बताते है कि क्योंकि यह क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है और इन क्षेत्रों के लोग इसी प्रकार के मिट्टी और बांस के घरों का निर्माण करते हैं। ऐसे में शगुन द्वारा बनाये गये भूकंप रोधी घरों का निर्माण सभी लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। इनकी खासियत यह है कि मिट्टी और घास के बने घर बेहद हल्के और मजबूत होते है।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।