उत्तराखंडः अपने गीतों से उत्तराखंड की संस्कृति को संवार रहे केबी बथ्याल, “ताल ज्वार माल ज्वार” गीत ने मचाया धमाल
PAHAD PRABHAT NEWS: उत्तराखंड के संगीत जगत में कई लोकगायकों ने पहाड़ की संस्कृति का संवारने का काम किया है। उसे आज के युवा गायकों ने जारी रखा है। उत्तराखंड के लोकगायकों ने अपने गीतों के माध्यम से समय- समय लोगों को जागरूक करने का काम भी किया है। उन्हीं में से एक गायक केबी बथ्याल है, जो लगातार पहाड़ की संस्कृति को संवारने का काम कर रहे है। इसलिए लोग उनके गीतों को खूब पसंद कर रहे है। उन्होंने हमेशा ही पहाड़ की संस्कृति और खूबसूरती को लेकर गीत गाये और लिखे है। आगे पढ़े…
पहाड़ प्रभात से विशेष बातचीत में गायक केबी बथ्याल ने बताया कि उनको बचपन से ही गीत सुनने और गाने का बहुत शौक था। वह लोकगायक फौजी ललित मोहन जोशी के गीतों से काफी प्रभावित हुए। उन्हें जब भी मौका मिलता वह उनके गीत सुनते और फिर गुनगुनाने लगते। धीरे-धीरे उन्होंने गीत लिखना शुरू किया। अब इन्हीं गीतों को गाने की धुन उन सर पर सवार हो गई। आगे पढ़े…
ऐसे में गायक केबी बथ्याल को उनके पहले गीत के लिए उनके बङे भाई राजू बथ्याल का सहयोग मिला तो उन्होंने कभी पिछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2018 में आये उनके पलायन पर आधारित गीत किलै छोड़ी पहाड़ को लोगों ने खूब पसंद किया। इसके बाद गायक केबी बथ्याल ने एक से बढ़कर एक गीत लिखे और गाये। उन्होंने मखमली घाघरी, रुपसी हिमा, नथुली की डोर जैसे गीतो को लिखा और गाया है। जिन्हें लोगों ने खूब पसंद किया। आगे पढ़े…
उत्तराखंड में काफी कम गायक ऐसे है जो खुद के लिखे गीतों को गाते है। केबी बथ्याल एक ऐसे गायक जो खुद ही गीतों को लिखकर गाते है। अब उनका नया गीत “ताल ज्वार माल ज्वार” रिलीज हुआ है। जो उनके यू-टृयूब चैनल KKB MUSIC पर आप सुन सकते है। इस गीत को उन्होंने मुनस्यारी के तल्ला जौहार व मल्ला जौहार के बारे में लिखा है। जिसे वहां के लोगों ने खूब पसंद भी किया। गायक केबी बथ्याल ने बताया कि वह अपने नये गीतों में काम कर रहे है जो गीत जल्द आपको सुनने को मिलेंगे। साथ ही वह न्योली, झोड़ा-चांचरी भी लेकर आ रहे है।