उत्तराखंडः समय से पहले खिले बुरांश के फूल, फूलदेही त्यौहार से पहले लगे सूखने…

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Haldwani News: जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव दिख रहा है। ऐसे में पेड़-पौधों के उगने से लेकर फूल खिलने तक का समय बदल रहा है। अक्सर पहाड़ों में खिलने वाली बुरांश का फूल इन दिनों खिल चुका है। ऐसे में पहाड़ के लोग ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी परेशान है। चैत्र के महीने में पहाड़ों में फूलदेही का त्यौहार खेला जाता है। जिसमें बच्चे बुरांश समेत अन्य फूलों को एक टोकरी में रखकर लोगों के घरों की चैखट पर चढ़ाते है। लेकिन अब बुंराश के समय से पहले खिल जाने के बाद सुख जाना बड़ी चिंता का विषय बन गया है। आगे पढ़िये…

पहाड़ की औषधीय वनस्पतियों में से एक बुरांश समय से पहले खिलने के बाद सूखने और गिरने लगा है। ऐसे में मधुमक्खियों को शहद जुटाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा। जलवायु के समय चक्र में परिवर्तन होना कोई शुभ संकेत नहीं है। इसका खामियाजा हमें किस रूप में भुगतना पड़ेगा। यह तो समय आने पर ही पता चल सकेगा। आगे पढ़िये…

आपको बता दें कि बुरांश के फूलों तथा इसकी पंखुड़ियों के रस का सेहतमंद होता है। इसका स्क्वैश, जैम और शरबत बनाने में भी इसका उपयोग होता है। बुरांश के पौधे में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट तत्व हृदय के लिए लाभदायी है और इसका सेवन हृदय रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। साथ ही इस फूल की पंखुड़ियां जुकाम, सिर दर्द, बुखार और मांसपेशियों के दर्द को आराम देने में काम भी करती हैं।

पहाड़ प्रभात डैस्क

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।