तीज-त्यौहार: आज बोया जायेगा हरेला, इन सात अनाजों का है खास महत्त्व

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हरेला पर्व 2021: उत्तराखंड में कई त्यौहार मनाये जाते है। इन्हीं में से एक त्यौहार है हरेला। पहाड़ केे लोग इसेे बड़े धूमधाम से मनाते है। श्रावण मास का हरेला का त्यौहार सबसे प्रसिद्ध है। आज शाम को उत्तराखंड के हर घर में हरेला बोया जायेगा।

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श्रावण मास का महीना हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव का महीना मन जाता है। देवभूमि उत्तराखंड को शिव भूमि ही कहा जाता है।भगवान शिव का निवास स्थान भी देवभूमि यानी हिमालय में ही है। हरेले के त्यौहार में शिव पार्वती और गणेश भगवान को पूजा जाता है। इस दिन प्राकृृतिक मिट्टी से इनकी मूर्ति बनाई जाती है तथा हरेले से इनकी पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि शिव और पार्वती का विवाह श्रावण मास को ही संपन्न हुआ था।

सात अनाजों से बनता है हरेला

हरेला के त्यौहार के लिए 9 दिन पहले से ही लोग एक बर्तन या टोकरी में सात प्रकार के अनाज बोते है। जैसे-गेहूँ, मक्का, जौ, उड़़द, तिल, सरसों और गहत या भट्ट को बोया जाता है इसके बाद इसे किसी पवित्र स्थान जैसे मंदिर में इसको स्थापित किया जाता है। 9 दिन तक इसकी पानी से सिंचाई कर इसकी देखभाल की जाती है साथ ही ध्यान रखा जाता है की सूर्य का सीधा प्रकाश इस पर न पड़े।

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बुजुर्ग देते है आशीर्वाद

9 दिन पूूरे होने के बाद हरेले के पौधे को काट कर सबसे पहले इष्ट देवता को समर्पित किया जाता है। इसकेे बाद सभी सदस्यों को लगया जाता है और उनको आशीर्वाद दिया जाता है। हरेले को हरियाली का प्रतीक माना जाता है इसलिए इसे 9 दिन तक सिंचाई की जताई है। 10वें दिन घर के बुजुर्ग सबसे पहले इसको काटते है। भगवान को चढ़ाने के बाद सबसे पहले इन्हे पैरों से लगाकर घूटने, कोहनी, कंधे पर हरेले के तिनकों को सिर में रखा जाता है। हरेला चढ़ाते हुए कुमाऊंनी में बोला जाता है-

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”  जी राया जगी रया यो दिन यो मास भेटन रया, 

दूब जे पनपिया जया  शियाऊ जो बूधी ए जो,   

धरती जे चकाऊ हे जया आसमान जे ऊच हे जया, 

सूरजे जस तराण  है जौ सिल पिसी भात खाया ,

जांठि टेकी भैर जया  खूब जवान हे जाये …. “

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पहाड़ प्रभात डैस्क

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।