वट सावित्री व्रत पर बना रहा संयोग, जानिये पं. पवन डंडरियाल शास्त्री से पूजा की पूरी विधि
Vat Savitri Vrat 2022: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का बड़ा महत्व है। यह शादीशुदा महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला एक कठिन व्रत होता है। यह व्रत को रखने की पूरी जानकारी आपको दे रहे है। उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल के सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. पवन डंडरियाल शास्त्री, जो समय-समय पर लोगों को मार्गदर्शन कर उन्हें सही राह पर चलने की सलाह देते है। तो आइये जानते है वट सावित्री व्रत की पूरी विधि-
सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. पवन डंडरियाल शास्त्री के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्था को किया जाने वाला वाट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में दाम्पत्य जीवन के प्रति अपार श्रद्धा व समर्पण का प्रतीक है। संसार की सभी स्त्रियों में अपने दाम्पत्य जीवन के लिए विशेष समर्पण होता है। भारतवर्ष में पतिव्रता शब्द एक उच्चकोटि के तपस्वी से समानता व्यक्त करता है। इस व्रत का संबंध देवी सावित्री से है। जिन्होंने अपने अखंड पतिव्रत्व से दृढ़ प्रतिज्ञा के प्रभाव से यमद्वार पर गये अपने पति को सकुशल लौटा लायी। इसलिए सभी स्त्रियां अपनी दाम्पत्य जीवन की दीर्घायु के लिए अनेकानेक व्रत करती आयी है।
सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. पवन डंडरियाल शास्त्री के अनुसार इन्हीं व्रतों में इस वट सावित्री व्रत का फल सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। वट देव वृक्ष है, वटवृक्ष में मूल भगवान ब्रहमा, मध्य में जर्नादन और अग्रभाग में देवाधिदेव शिव विराजमान रहते है। देवी सावित्री भी वटवृक्ष में प्रतिष्ठित रहती है।
इस विधि-विधान से करें पूजन-
वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाएं 29 मई को सुबह उठकर स्नान करके श्रृंगार करें।
बरगद के पेड़ की पूजा करें।
कच्चा सूत धागा बरगद की प्ररिक्रमा करते हुए लपेट दें।
इस दौरान 5 सा 7 बार परिक्रमा करें।
मन में परमात्म का स्मरण करते रहें।
पति की दीर्घायु की कामना करें।
नोट-इसके अलावा सुप्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पं. पवन डंडरियाल शास्त्री ने बताया कि उनके यहां पत्रिका दिखाना, पत्रिका मिलान, पत्रिका बनाना, सम्पूर्ण पूजा-पाठ, सम्पूर्ण राशि रत्न, लैब कार्ड सहित उपलब्ध है। अधिक जानकारी के लिए आप ज्योतिष उत्तराखंड पं.पवन डंडरियाल शास्त्री नैनीताल रोड दुर्गा सिटी सेंटर नियर एयरटेल ऑफिस मोबाइल नंबर 7500856980 पर संपर्क कर पूरी जानकारी ले सके है।