श्रद्धांजलि: हल्द्वानी में गूंजे गिर्दा के गीत, रचनाकर्मियों ने किया याद

हल्द्वानी। उत्तराखंड के जनकवि गिरीश चंद्र तिवाड़ी ‘गिर्दा’ की 15वीं पुण्यतिथि पर रविवार को शहर के रचनाकर्मियों ने उन्हें याद किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिनका बीती रात निधन हो गया था।
हल्द्वानी स्थित रमोलिया हाउस में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत ‘उत्तराखंड मेरी मातृभूमि’ गीत से हुई। क्रिएटिव उत्तराखंड, परंपरा (नैनीताल), समय साक्ष्य प्रकाशन (देहरादून) और हल्द्वानी कल्चर फोरम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा में गिर्दा की कविताओं और गीतों को गाकर उन्हें याद किया गया।
कार्यक्रम में बृज मोहन जोशी ने गिर्दा पर केंद्रित एक डॉक्यूमेंट्री प्रस्तुत की। वहीं गिर्दा के साथियों ने आंदोलन, रंगकर्म और साहित्य से जुड़े संस्मरण साझा किए। वक्ताओं ने कहा कि गिर्दा सिर्फ आंदोलनकारी नहीं थे बल्कि एक व्यापक व्यक्तित्व थे, जिन्होंने आदर्श उत्तराखंड की परिकल्पना की और राज्य स्थापना के लिए जनता को जागरूक किया।
इस मौके पर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के पोस्टरों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। कार्यक्रम का संचालन भास्कर उप्रेती ने किया।
श्रद्धांजलि सभा में हेम पंत, दयाल पांडेय, हिमांशु पाठक, गणेश मृतोलिया, संदीप सोनू, डॉ. सुनील पंत, कमल जोशी, कोमल पाठक, जगमोहन रौतेला, गिरीश लोहनी, हरीश पंत, यतीश पंत, डॉ. भूपेन सिंह, अनिल कार्की समेत कई रचनाकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे।