शिक्षक दिवस पर विशेष: उत्तराखंड के पांच शिक्षकों को मिलेगा “स्पर्श गंगा शिक्षाश्री सम्मान”
UTTARAKHAND NEWS: हिमालयन एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (हईस) द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए गए शैक्षिक नवाचार एवं क्रियात्मक शोध के लिए उत्तराखंड राज्य के 05 शिक्षकों को स्पर्श गंगा शिक्षाश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इन सभी शिक्षकों को यह सम्मान 17 दिसंबर को स्पर्श गंगा दिवस के अवसर पर दिया जाएगा। यह संस्था हर वर्ष उत्तराखंड राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 05 शिक्षकों का चयन शिक्षक दिवस के अवसर पर करती है।
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ‘मैती’ की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय चयन समिति द्वारा, जिसमें भक्तदर्शन अवार्ड से सम्मानित पर्यावरणविद डॉ. एसडी. तिवारी, प्रो. प्रभाकर बडोनी, डॉ. सर्वेश उनियाल सम्मिलित थे, छात्र-छात्राओं के साथ किए गए अभिनव क्रियाकलापों, शैक्षिक नवाचार एवं क्रियात्मक शोध इत्यादि के आधार पर 05 शिक्षकों का चयन इस सम्मान के लिए किया है। चयनित शिक्षकों को 17 दिसंबर को स्पर्श गंगा दिवस के अवसर पर 11 हजार रूपये के नकद पुरुस्कार, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जाएगा।
चयन समिति की अनुशंसा पर इस वर्ष राष्ट्रीय सेवा योजना के पूर्व राज्य समन्वयक तथा उत्तराखंड में रक्तदान अभियान के प्रणेता प्रो. आनंद सिंह उनियाल, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास एवं शिक्षा की दिशा में कार्य करने वाली सृजन स्पास्टिक सोसाइटी की संस्थापक श्रद्धा कांडपाल, प्रकृति संरक्षण के लिए वर्ष 2006 में विद्यालय की खाली बंजर जमीन पर मिश्रित वन के विचार से कार्य शुरू कर स्पर्श गंगा वन तैयार करने वाले पेड़ वाले गुरुजी के उपनाम से मशहूर धन सिंह घरिया, पर्यावरण संरक्षण तथा सामजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन जागरुकता एवं स्पर्श गंगा वन लगाने के लिए उत्तरकाशी के सोवेन्द्र सिंह तथा मेधावी एवं निर्धन विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए अभूतपूर्व प्रयास करने वाले प्रो. केएल तलवाड़ को यह गौरव प्राप्त हो रहा है।
यह उल्लेखनीय है कि सम्मानित किये जा रहे सभी शिक्षकों को यह सम्मान शिक्षा के अपने मूल कार्यों के साथ-साथ सामजिक उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिए प्रदान किया जा रहा है। इनमें से प्रो. आंनद सिंह उनियाल, जो स्वयं 115 से अधिक बार रक्दान कर चुके हैं, ने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से हजारों युवाओं को प्रेरित कर लाखों यूनिट रक्तदान करवा चुके हैं। उनके इस महतवपूर्ण योगदान के लिए सामजिक सन्दर्भों में उन्हें रक्त पुरुष’ के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त 5 लाख से अधिक वृक्षारोपण का कार्य भी इनके मार्गदर्शन में किया जा चुका है।
इसी प्रकार अपने सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए अपनी शिक्षा तथा अर्जित ज्ञान-कौशल द्वारा समाज के निशक्त व असहाय बच्चों के पुनर्वास एवं शिक्षा व्यवस्था के लिए स्वयं को समर्पित कर चुकी श्रीमती श्रद्धा कांडपाल भी क्षेत्र में किसी परिचय की मोहताज़ नहीं हैं। समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर तथा मानसिक मन्दिता में एमएड कांडपाल द्वारा अपने सामाजिक उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए वर्ष 2006 में सृजन स्पास्टिक सोसाइटी की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए अब तक अनेकों निशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन करवा चुकी है तथा 2200 से अधिक बच्चों के आकलन का कार्य कर चुकी है। वर्तमान में वे राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की सदस्य तथा राज्य स्तरीय दिव्यांग पुनर्वास समिति की जिला प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रही हैं।
राजकीय इंटर कॉलेज, गोदली पोखरी, चमोली में प्रवक्ता के रूप में कार्यरत तथा क्षेत्र में पेड़ वाले गुरु जी के उपनाम से विख्यात धन सिंह घरिया विगत दो दशकों से पर्यावरणीय सरोकारों से सम्बंधित विविध कार्यक्रमों का संचालन व सम्पादन कर रहे है। इनके द्वारा अपने विद्यालय के निकट बंजर जमीन पर एक दशक तक 100 से भी अधिक मिश्रित प्रजातियों के वृक्षों का संरक्षण कर एक वन निर्माण किया गया है तथा विगत वर्ष से क्षेत्र में फलदार पौधों से युक्त स्पर्श गंगा वन तैयार किया जा रहा है। साथ ही वे अब तक विभिन्न क्षेत्रों में हजारों पौधों का रोपण तथा निशुल्क वितरण कर चुके है। इसके अतिरिक्त नंदा राज जात यात्रा के उच्च हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक उन्मूलन व साफ़-सफाई से सम्बंधित कार्यक्रमों का आयोजन भी इनके द्वारा कराया जा चुका है।
इसी क्रम में राजकीय इंटर कॉलेज बनगाड़, उत्तरकाशी में कार्यरत सोवेंद्र सिंह भी वर्ष 1990 से लेकर अब तक अपने क्षेत्र में नशामुक्ति, रुढ़िवादिता व अंधविश्वास के विरुद्ध एक मशाल जलाए हुए हैं तथा सामाजिक कुरीतियों के निदान के साथ साथ पौधारोपण, साक्षरता कार्यक्रमों, बेटी बचाओ बेटी पढाओं, हर घर शौचालय, नशा मुक्त गाव स्कूल चलो अभियान व मतदान जागरूकता जैसे विभिन्न कार्यक्रमों का सफल संचालन व क्रियान्वयन कर रहे हैं। वे अब तक 17 बीघा बंजर भूमि पर 121 प्रजातियों के फलदार, औषधीय, ईधन, छायादार, शोभादार वृक्षों का हरा भरा जंगल विकसित करवा चुके हैं। सोवेंद्र वर्तमान तक 1,50,000 से अधिक वृक्षों का रोपण कार्यक्रम कर चुके हैं। अपने विद्यालय के सौन्दर्यीकरण के लिए इनके द्वारा 130 प्रजातियों के पुष्पों का रोपण कराया जा चुका है।
मेधावी एवं निर्धन विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए अभूतपूर्व प्रयास करने वाले प्रो. केएल तलवाड़ वर्मान में गुलाब सिंह राजकीय महाविद्यालय, चकराता, देहरादून में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। इनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने की दृष्टि से 20 से अधिक पर्यावरण आंदोलनों का वर्णन करते हुए उत्तराखंड के पर्यावरणीय आन्दोलन” नाम से पुस्तक का सम्पादन किया गया है तथा कोरोना काल में विद्यार्थियों की शिक्षा हेतु विशेष कार्य किये गए है। अपने महाविद्यालय के विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए इनके द्वारा छात्रवृति भी प्रदान की जा रही है।
स्पर्श गंगा अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. अतुल जोशी ने सभी शिक्षकों की प्रतिबद्धता समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर आप सभी शिक्षकों के साथ जुड़कर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने बताया कि पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं स्पर्श गंगा अभियान के प्रणेता डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की प्रेरणा से प्रति वर्ष हर्ड्स संस्था द्वारा शैक्षणिक माहोल बनाने और बहुआयामी कार्य से शैक्षणिक एवं सामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने समेत कई प्रतिभा को देखते हुए इन शिक्षकों का चयन किया जाता है।
इस अवसर पर हिमालयन एजुकेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (हईस) के अध्यक्ष केके. पांडेय ने कहा कि यह हमारी संस्था के लिए गर्व का विषय है कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर आयोजित शिक्षक दिवस के मौके पर समाज में अपने कार्यों से एवं शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान देने वाले प्रेरणाप्रद शिक्षकों को सम्मानित करने का हमें अवसर प्राप्त हो रहा है। इस अवसर पर नवीन वर्मा सहित हर्ड्स के कार्यकारणी सदस्य डॉ. सुरेश डालाकोटी, डॉ. नवीन चंद्र जोशी, डॉ. विनोद जोशी, डॉ. जीवन चंद्र उपाध्याय डॉ. मनोज पांडेय आदि उपस्थित रहे।