जो तुम न होती!

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नो माह तक कोख में रखकर
खून से हमको कौन सींचता
अगर माँ तुम ना होती?

दूध पिलाकर हमको अपना
क्षुधा हमारी कौन मिटाता
अगर माँ तुम ना होती?

बच्चों को भरकर आलिंगन में
सुरक्षा का कौन एहसास कराता
अगर माँ तुम ना होती?

आँचल में अपने ढाँपकर
रातों को लोरी कौन सुनाता
अगर माँ तुम ना होती?

वात्सल्य और ममत्व
हम पर कौन लुटाता
अगर माँ तुम ना होती?

गीले में खुद सोकर
हमको सूखे में कौन सुलाता
अगर माँ तुम ना होती?

सीने से हमको कौन लगाता
अपनी बांहों के झूले में हमको कौन झूलाता
अगर माँ तुम ना होती?

घर बाहर से
हमको परिचित कौन कराता
अगर माँ तुम ना होती?

सही गलत का भेद
भला फिर हमको कौन कराता
अगर माँ तुम ना होती?

डॉ० दीपा
सहायक प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय

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जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।