जो तुम न होती!
नो माह तक कोख में रखकर
खून से हमको कौन सींचता
अगर माँ तुम ना होती?
दूध पिलाकर हमको अपना
क्षुधा हमारी कौन मिटाता
अगर माँ तुम ना होती?
बच्चों को भरकर आलिंगन में
सुरक्षा का कौन एहसास कराता
अगर माँ तुम ना होती?
आँचल में अपने ढाँपकर
रातों को लोरी कौन सुनाता
अगर माँ तुम ना होती?
वात्सल्य और ममत्व
हम पर कौन लुटाता
अगर माँ तुम ना होती?
गीले में खुद सोकर
हमको सूखे में कौन सुलाता
अगर माँ तुम ना होती?
सीने से हमको कौन लगाता
अपनी बांहों के झूले में हमको कौन झूलाता
अगर माँ तुम ना होती?
घर बाहर से
हमको परिचित कौन कराता
अगर माँ तुम ना होती?
सही गलत का भेद
भला फिर हमको कौन कराता
अगर माँ तुम ना होती?
डॉ० दीपा
सहायक प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय