चौखुटियाः सुर सम्राट गोपाल बाबू के जन्मदिवस पर मचेगी गेवाड़ कृषि एवं सांस्कृतिक महोत्सव की धूम…

Chaukhutiya News: हर साल की तरह इस बार भी आगामी 2 फरवरी को उत्तराखंड के सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जायेगा। इस बार उनके जन्मदिन को गेवाड़ कृषि एवं सांस्कृतिक महोत्सव से जोड़ा गया है। जो 2 फरवरी से शुरू होकर 5 फरवरी तक चलेगा। इन दिनों चौखुटिया में कार्यक्रम की तैयारियां जोरो-शोरों से चल रही है। यह जानकारी सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी के सुपुुत्र लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी ने दी।

लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी ने बताया कि हर साल 2 फरवरी को भव्य कार्यक्रम सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी की जन्मोत्सव पर आयोजित किया जाता है। उनका परिवार उनके पिता सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी के जन्मोत्सव की तैयारी में जुटा है। इस बार गेवाड़ कृषि एवं सांस्कृतिक महोत्सव के साथ ही उनके पिता जी का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। जिसमें कई लोकलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। इसके अलावा कई तरह की खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि चार दिवसीय गेवाड़ कृषि एवं सांस्कृतिक महोत्सव का शुभारंभ प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किया जायेगा। साथ ही पहले दिन अल्मोड़ा सासंद अजय टम्टा, शिक्षामंत्री धनसिंह रावत, द्वाराहाट विधायक मदन सिंह बिष्ट समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। लोकगायकों में फौजी ललित मोहन जोशी, गजेन्द्र राणा, रमेश बाबू गोस्वामी, राकेश खनवाल, मुकेश शर्मा, गोपाल गुसांई, हेमा नेगी करासी, कौशल पांडे, संगीता ढौडियाल, माया उपाध्याय और नीमा भंडारी अपनी प्रस्तुति देंगी। मेला समिति की अध्यक्ष किरन बिष्ट का विशेष आभार प्रकट किया है। किरन बिष्ट पूरे मेला समिति की अध्यक्ष है।

रमेश बाबू गोस्वामी ने देवेन्द्र सिंह कोरंगा, गणेश कांडपाल, हयात सिंह राजपूत, प्रदीप सिंह रावत, शेखर उपाध्याय, लालसिंह गुड्ड दा, देवकी नंदन कांडपाल, हरीश बिष्ट, फिल्म अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी, सतीश पांडे का विशेष आभार जताया है। लोकगायक रमेशबाबू गोस्वामी ने बताया कि उनके पिता सुर सम्राट स्व. गोपाल बाबू गोस्वामी जी एक लोकगायक के साथ-साथ लेखक, उद्घोषक, निबंधकार, रचनाकार, साहित्यकार भी रहे। उन्होंने अपनी गायकी से समूचे उत्तराखंड के साथ ही देश और विदेश में उत्तराखंड को पहचान दिलाई। उन्होंने ऐसे दौर में अपनी गायकी से उत्तराखंड के संगीत को नई पहचान दिलाई, जब संचार का कोई साधन नहीं होता था, ना ऐसे वाद्य यंत्र होते थे। आज लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी अपने पिता की विरासत को संभाले हुए है। अपने पिता की तरह लोकगायक रमेश बाबू गोस्वामी भी आज लोगों की पहली पंसद बन चुके है।

गोपाल बाबू गोस्वामी ने अपने सुरों से सभी के दिलों में राज किया। उनके सभी गीत सुपरहिट रहे। उन्होंने जल, जंगल और जमीन के मुद्दों को भी अपने गीतों के माध्यम से उठाया। उन्हीं गीतों में से कुछ गीत जो आज भी लोगों के दिलों पर बसे हुए है। उनके गीत कैले बाजे मुरुली, हाय तेरी रुमाला, बेडू पाको बारो मासा, घुघुती ना बासा, हिमालय को ऊंचा डाना, काली गंगा को कैलो पाणि, जय मैया दुर्गा भवानी, ओ भिना कसिके जानू, रूपसा रमोती, निकाटू झुगराली बाजा, गोपुलि जैसे गीतों से उन्होंने समाज को जागरूक करने का काम किया।












