पिता तुम बिन कुछ भी नहीं मैं…

खबर शेयर करें

तिमिर सा जीवन लगे
तुम बिन जीवन अब
निराधार
निरर्थक लगे।
था सार्थक
तुम से जो
अब तुम बिन
बेमानी हुआ।
मुस्कान तुम्हारी
याद कर
मैं भी पुलकित
हो जाती हूँ
पर जिस पल
स्मरण होता सब
विस्मित सी रह
जाती हूँ
वो शीतलता अब
नहीं रही
मैं आंसुओं से
भर जाती हूँ।
पिता तुम बिन
कुछ भी नहीं मैं
तेरी प्यारी सी
नन्हीं परी मैं।
तेरी बाहों में
ये संसार देखा
तेरी अंगुली
पकड़कर चली मैं
पिता तुम बिन
कुछ भी नहीं मैं।

डॉ. दीपा सहायक प्रोफेसर

दिल्ली विश्वविद्यालय

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।