हल्द्वानी: दमुआढूंगा भू-स्वामित्व को लेकर प्रतिनिधिमंडल ने की ये माँग

हल्द्वानी। दमुआढूंगा क्षेत्र के निवासियों ने परगना अधिकारी हल्द्वानी द्वारा जारी आदेश दिनांक 19 मई 2025 के विरुद्ध विधिक आपत्ति दर्ज करवाई है। प्रतिनिधिमंडल ने एसडीएम हल्द्वानी से उक्त आदेश को निरस्त करने की मांग की है, जिससे क्षेत्र में भय का माहौल समाप्त हो और वर्षों से बसे निवासियों को भू-अधिकार संबंधी प्रक्रिया में न्याय मिल सके।

पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट ने जानकारी दी कि वर्ष 2016 में उत्तराखंड शासन द्वारा अधिसूचना जारी कर दमुआढूंगा को राजस्व ग्राम घोषित किया गया था। इसके तहत वहां निवास कर रहे लोगों को उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, धारा 131 के अंतर्गत असंक्रमणीय भूमिधर का दर्जा प्रदान किया गया था। नियमानुसार, दस वर्ष पश्चात ये अधिकार संक्रमणीय भूमिधर में परिवर्तित हो जाते।
हालांकि वर्ष 2016 में भू-अभिलेख संक्रिया प्रारंभ किए जाने के बाद कुछ कारणों से 2020 में यह प्रक्रिया रोक दी गई। वर्तमान में दमुआढूंगा के निवासियों को भू-स्वामित्व देने की प्रक्रिया शासन स्तर पर विचाराधीन है। इस संबंध में जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा भेजे गए पत्र के अनुक्रम में आयुक्त एवं सचिव, राजस्व परिषद उत्तराखंड द्वारा 30 जून 2025 को सचिव, उत्तराखंड शासन को धारा 48 के तहत अधिसूचना जारी करने का अनुरोध किया गया है।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि ऐसे में परगना अधिकारी द्वारा 19 मई 2025 को नौ सदस्यीय कमेटी का गठन कर सरकारी भूमि चिन्हित करने व कब्जा हटाने का आदेश देना, वर्तमान कानूनी प्रक्रिया और शासन स्तर पर विचाराधीन प्रस्तावों के प्रतिकूल है। जब तक शासन द्वारा स्पष्ट अधिसूचना जारी नहीं की जाती, तब तक इस प्रकार की कार्रवाई से क्षेत्रवासियों में भय का वातावरण उत्पन्न हो रहा है।
प्रतिनिधिमंडल में पूर्व बीडीसी सदस्य कैलाश चंद के.सी., कृष्ण कुमार, महेशानंद, हरीश लाल, चंदन बिष्ट, बच्ची सिंह बोरा, पुरान चंद जोशी, श्यामलाल, तेजराम आर्य, नवीन चंद जोशी, उदित करायत, जगदीश चंद्र भारती, भूवन चंद्र, कमल कुमार जोशी, हरिश्चंद्र, प्रकाश चंद्र, दीप चंद्र जोशी, कमल शाह, चंदन भाकुनी सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।











