प्रिय वही तुम हो…
जिसे चाहा जिसे माँगा प्रभु से,
प्रिय वही तुम हो ।
मेरा दिल हो मेरी धड़कन
साँसों में तुम्हीं तुम हो ।
तुम सागर हो मैं सीपी हूँ,
मगर चाहत नहीं कम हो ।
आ डुबकी मैं लगा लूँ प्रिय,
तुम्हारे स्नेह दरिया में,
आलिंगन हो बाहों का,
तुम्हें भर लूँ निगाहों में,
मेरे दीपक मैं ज्योति तेरी,
सदा मंगल सुमंगल हो ।
दुख सुख के सदा साथी,
सितारों सा सदा संग हो ।
बरस तेरह अभी बीते,
न शत वर्षों से कम हो।
मुबारक हो वैवाहिक जीवन की सालगिरह ये अपनी,
तुम सम्राट मैं साम्राज्ञी
खुशियों से भरा घर हो ।
धन्यवाद करें सुहिर्द जनों का,
आशीषों से मगन मन हो।
संज्ञा…