अल्मोड़ा: ऐपण गर्ल पूजा आर्या ने शुरू किया निःशुल्क परीक्षण, आप भी सीखिए ऐपण कला

Almora News: अल्मोड़ा की ऐपण गर्ल पूजा आर्या ने शानदार मुहिम चलाते हुए एपण प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम 10 दिनों तक चलेगा, जिसमें अल्मोड़ा क्षेत्र में रहने वाले युवक – युवतियां शामिल हो सकती है। कार्यक्रम का उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार से जुड़ना है जिससे लोग खुद का कार्य कर सकें। आगे पढ़े…
रविवार को Artist Pooja Art Work के अंतर्गत निःशुल्क 10 दिवसीय ऐपण प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सभासद सचिन आर्य द्वारा किया गया। ऐपण गर्ल पूजा आर्या ने बताया कि उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के लिए वह ऐपण के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का काम कर रही है। इसके लिए उन्होंने 10 दिवसीय निशुल्क ऐपण प्रशिक्षण की शुरुआत की है , अगर आपको भी ऐपण बनाने का शौक है तो आप तल्ला ओड़खोला राजपुर अल्मोड़ा में जाकर सीख सकते हैं। पूजा आर्या आपको ऐपण कला की बारीकियां और उन्हें तैयार करने की कला की जानकारियां देंगी। उन्होंने बताया कि वह इसे स्वरोजगार के रूप में अपना रही है। इसके अलावा अन्य सामग्री भी तैयार कर रही है जो पहाड़ की संस्कृति से जुड़ी हुई है। पहले ही दिन पहले ही दिन दर्जनों युवतिया कला सीखने पहुंची। इस मौके पर ललित प्रसाद, रोहन कुमार आर्या, गौतम प्रसाद , गणेश प्रसाद, गीता देवी, शोभा आर्या नेहा, हिमानी, भावना, प्रेणना, साक्षी, प्रियांशी, संजना, पिंकी, आंचल मौजूद थे। आगे पढ़े…


बता दे कि अल्मोड़ा के तल्ला ओडखोला राजपुर निवासी पूजा आर्या की, जिससे अपनी चित्रकला से एक नई इबादत लिखी है। उन्होंने कई तरह के ऐपण तैयार किये है। आज उन्होंने ऐपण कला को एक नया रूप देकर बड़ा नाम कमाया है। आज अल्मोड़ा के अलावा दिल्ली और मुंबई से उनके पास ऐपणों के लिए फोन आ रहे है। अल्मोड़ा जिले के कई सरकारी कार्यालयों में उनकी ऐपण कला आपको दिख जायेगी। वह लगातार उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने में जुटी है। उन्होंने अपने ऐपण कला में गोलू देवता, नंदा देवी, गणेश भगवान आदि ऐपण बनाए है। साथ ही बाइक और कार पर लगाने वाले फ्लैग भी बनाये है। इनकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा चाबी के छल्ले में अपनी चित्रकारी से पहाड़ की महिलाओं को स्थान दिया है। जिसमें पहाड़ की रंगीली पिछौड़ी वाली महिला, वॉल पेंटिंग्स, चाय की केतली, टोपी पहने पुरूष और ईजा, ठेठ पहाड़ी, भेली पहाडऩ, शांत पहाडऩ, अरे लाटा, भोली पहाडऩ, मस्त पहाड़ी जैसे शब्दों से अपनी इस कलाकारी का जादू बिखेर रही हैं और लोगों का मन मोह रही हैं।