कोई क्यों ज़हर…

कोई क्यों जहर मन में रखता
प्रेम रखा करो न
जिंदगी कितनी छोटी है
ये समझा करो न
सांसों का कोई भरोसा नहीं
सबसे प्यार किया करो न
थोड़े दिनों का मेला है जिंदगी
हंसते हंसाते चलो न

कर्म हीं रह जाता है दुनिया में
तो अच्छे कर्म करो न
ईश्वर की खूबसूरत रचना हैं हम
तो इसको साबित करो न
प्रकृति अनमोल है हम सबके लिए
इससे खिलवाड़, न किया करो न
आज जिंदगी को कहीं पनाह नहीं
इस बात पर गौर करो न
पशु- पक्षी कीड़े-मकोड़े में भी जीवन है
उन्हें भी जीने का हक दो न
वेद पुराण में वर्णित विचारों का
अपने जीवन में अनुसरण करो न
क्या रखा है ईर्ष्या- द्वेष,तेरा- मेरा में
सबके साथ सद्भावना रखा करो न
मौत से क्या डरना, यह तो शाश्वत सत्य है
बुरे कर्मों से डरा करो न
आज भी लोग अपना उल्लू सीधा कर रहे
उन पर अंकुश डालो न
पालनहार बन कर अपनी गद्दी बचा रहे
ऐसी व्यवस्था से तौबा करो ना…!!
पूनम झा
नई दिल्ली














