उत्तराखंड: पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ा रहे अल्मोड़ा के संजय टम्टा, तांबे में अपनी हस्तकला से बिखेर देते है चमक…

Haldwani: (जीवन राज)- उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिला केवल बाल मिठाई ही नहीं बल्कि तांबे के बर्तनों के लिए भी प्रसिद्ध है। इसलिए अल्मोड़ा का दूसरा नाम ताम्र नगरी भी कहा जाता है। यहां टम्टा मोहल्ला में रहने वाले ताम्र कारीगरों का पुराना इतिहास रहा है। ताम्र नगरी का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। अपनी विरासत को ताम्र कारीगरों ने आज भी जिंदा रखा है और लोग आज भी अल्मोड़ा के तांबे के बर्तनों के दीवाने है। आगे पढ़िए…

हीरा नगर स्थित पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच में इन दिनों क्राफ्ट प्रदर्शनी लगी हुई है। जहां आपको हस्तशिल्प में लकड़ी से निर्मित वस्तुएं, वस्त्र, मिट्टी के बर्तनों के साथ अल्मोड़ा में निर्मित तांबे के बर्तन भी देखने को मिल जायेंगे। मेयर जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला और भाजपा जिला अध्यक्ष प्रताप बिष्ट ने ताम्र कारीगर संजय टम्टा द्वारा निर्मित बर्तनों की जमकर सराहना की और स्वरोजगार अपनाने को लेकर उन्हें बधाई भी दी। यहां अल्मोड़ा के दुगालखोला निवासी संजय टम्टा ने अपना स्टाॅल लगाया है। इस स्टाॅल की खास बात यह है कि यहां संजय टम्टा द्वारा निर्मित तांबे के बर्तन को मिल जायेंगे। जब पहाड़ प्रभात के संवाददाता ने उनसे तांबे के बर्तनों की जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि तांबे को बर्तनों के रूप में चमकाने की कला उन्हें विरासत में मिली है। पहले उनके पिता स्व.मनोहर लाल टम्टा एक सरकारी कर्मचारी थे। बचपन से ही मोहल्ले में इस काम को देखा। धीरे- धीरे मैंने भी यह कला सीख ली। आज वह अपने पूर्वजों की विरासत को स्वरोजगार के रूप में अपनाकर आगे बढ़ा रहे है। आगे पढ़िए…


संजय टम्टा बताते है कि हर घर में लोग पीने का पानी सिर्फ तांबे के बर्तन में ही रखते है। तांबे के बर्तन इसलिए भी खास हो जाते है कि तांबे के बर्तन में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में उन्होंने अब तांबे के फिल्टर बनाने भी शुरू कर दिये है। जो उनके स्टाॅल पर मौजूद है। खास कर अल्मोड़ा के ताम्र कारीगरों के हाथों से बने तांबे के बर्तन आज भी काफी प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बताया कि उनके यहां तांबे से तौला, गागर, परात, वाटर फिल्टर, पूजा के बर्तनों के अलावा वाद्य यंत्र रणसिंघ, तुतरी आदि बहुत चीजें बनाई जाती हैं।