उत्तराखंड: (शाबाश भुली)-पहाड़ की समृद्ध परंपरा को संवार रही पूजा, लोककला को बनाया स्वरोजगार

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Almora News: ऐपण कला उत्तराखंड की पुरानी और पौराणिक कलाओं में से एक है। ऐपण का चलन खासकर कुमाऊं में होता है। आज पूरे उत्तराखंड में ऐपण ने अपनी अनोखी पहचान बनाई है। लोग शुभ कार्यों में घरों में ऐपण का चित्रण करते है। आज युवाओं के द्वारा इसे संवारने का काम किया जा रहा है। वैसे भी पहाड़ की बेटियां आज हर क्षेत्र में आगे है। सेना से लेकर पुलिस तक और खेल के मैदान से लेकर बॉलीवुड तक पहाड़ की बेटियों ने अपनी प्रतिभा का डंका बजाया है। अब बेटियों ने उत्तराखंड की पुरानी और पौराणिक कलाओं को संवारने का जिम्मा भी उठाया है। ऐसी ही एक प्रतिभा है पहाड़ की पूूजा। जो अपनी चित्रकारी से न सिर्फ ऐपण कला को बचाने का काम कर रही है। साथ ही स्वरोजगार की ओर कदम भी बढ़ा रही है। अब उनकी ऐपण की डिमांड मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में बढऩे लगी है। आगे पढ़े…

जी हां हम बात कर रहे है, अल्मोड़ा के तल्ला ओडखोला राजपुर निवासी पूजा आर्या की, जिससे अपनी चित्रकला से एक नई इबादत लिखी है। उन्होंने कई तरह के ऐपण तैयार किये है। कुमाऊं के लोककला की विरासत को संभालना कही ने कही उन्होंने अपने पिता से सीखा है। पूजा आर्या बताती है कि उनके पिता ललित प्रसाद एक पेंटर है जो कई तरह की पेटिंग का कार्य करते है। बचपन से पिता को काम करता देख, उनके अंदर भी पेटिंग सीखने का शौक जाग उठा। फिर क्या था, पिता के ही पेंट के डिब्बे से पेंट लेकर वह छोटे-छोटे चित्र बनाने लगी। धीरे-धीरे उन्होंने ऐपण को अपनी चित्रकला का रूप देना शुरू कर दिया। जिसके बाद आज उन्होंने आज ऐपण कला को एक नया रूप देकर बड़ा नाम कमाया है। आगे पढ़े…

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पूजा बताती है कि ऐपण कला को नया रूप देकर अपनी संस्कृति को बचाने का यह सबसे अच्छा तरीका है। आज अल्मोड़ा के अलावा दिल्ली और मुंबई से उनके पास ऐपणों के लिए फोन आ रहे है। अल्मोड़ा जिले के कई सरकारी कार्यालयों में उनकी ऐपण कला अपनी दिख जायेगी। वह लगातार उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने में जुटी है। उन्होंने अपने ऐपण कला में गोलू देवता, नंदा देवी, गणेश भगवान आदि ऐपण बनाए है। साथ ही बाइक और कार पर लगाने वाले फ्लैग भी बनाये है। इनकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा चाबी के छल्ले में अपनी चित्रकारी से पहाड़ की महिलाओं को स्थान दिया है। जिसमें पहाड़ की रंगीली पिछौड़ी वाली महिला, वॉल पेंटिंग्स, चाय की केतली, टोपी पहने पुरूष और ईजा, ठेठ पहाड़ी, भेली पहाडऩ, शांत पहाडऩ, अरे लाटा, भोली पहाडऩ, मस्त पहाड़ी जैसे शब्दों से अपनी इस कलाकारी का जादू बिखेर रही हैं और लोगों का मन मोह रही हैं। इन शब्दों के चाबी के छल्ले लोग खूब पसंद कर रहे है। आगे पढ़े…

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वहीं इन दिनों वह राखियां तैयार करने में जुटी है, जिनकी डिमांड लोगों ने उन्हें दे रखी है। राखियों में भी वह पहाड़ की कलाओं का उकेर रही है। साथ ही पहाड़ में बोले जाने वालों शब्द जैसे, भुला, ददा, मेरो भुला, प्यारे दाज्यू जैसे शब्दों को पिरोकर वह राखियां तैयार कर रही है। पूजा आज केवल अपनी संस्कृति को बचाने का ही नहीं बल्कि ऐपण कला में निपुणता हासिल कर स्वरोजगार की एक अनोखी मिसाल पेश कर रही हैं। वह कुमाऊं की लोककला ऐपण को देश भर में प्रसिद्ध कर रही हैं और सोशल मीडिया पर पूजा आर्या को कई लोगों से सराहना और सपोर्ट मिल रहा है। पूजा ने इस कला को अपना रोजगार बना लिया है और आज वे इस राह में एक मिसाल बनकर समाज के सामने आई हैं। पहाड़ की लोककला को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करने वाली पूजा आर्या ने स्वरोजगार की एक अनोखी मिसाल पेश की है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर सच में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो आप सफलता अर्जित कर सकते हैं।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।