उत्तराखंड: संस्कृति प्रेमी आगरी की नई पहल, उत्तराखंड के वाद्य कलाकारों मिलेगा मंच

UTTARAKHAND PAHAD PRABHAT NEWS: लोकगायक व संस्कृति प्रेमी जगदीश आगरी लगातार उत्तराखंड के वाद्ययंत्रों को संवारने में जुटे है। वह दिल्ली एनसीआर में रहकर उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर रहे है। उन्होंने पहाड़ के वाद्य यंत्रों को दिल्ली से बड़े शहर में एक खास पहचान दी है। अब जगदीश आगरी ने एक नई मुहिम शुरू करते हुए ढोल-दमाऊ व वाद यंत्रों के लोककलाकारों को साथ जोड़ शुरू किया है।
जगदीश आगरी दिल्ली एनसीआर में वाद्य कलाकारों की आवाज बनकर सामने आये है। जिसमें उन्हें सभी कलाकारों का सहयोग मिल रहा है। प्रकाश आर्या, किशन बिष्ट, रमेश बिष्ट, मोहन फुलारा, हरीश शर्मा, रमेश उपाध्याय समेत कई लोग आगरी का साथ दे रहे है। जिससे वाद्य कलाकारों को मंच मिल सकें। इस ग्रुप का खास उद्देश्य वाद्य कलाकारों को एकजुट कर ढोल-दमाऊ समेत अन्य वाद्य यंत्रों को संवारना है।


जगदीश आगरी बताते है कि पिछले आठ सालों में यह पहली बार होगा जब वाद्य कलाकार एक साथ बैठकर पहली बार अपनी समस्याएं बताकर उनका समाधान जुटायेंगे। जल्द एक संस्था का गठन किया जायेगा। जिससे दिल्ली जैसे शहर में उत्तराखंड के वादय यंत्रों को एक खास पहचान मिल सकें। उन्होंने दिल्ली एनसीआर छोलिया ग्रुप के नाम से एक समूह बनाया है। जिसमें वाद्य कलाकारों को जुडऩा शुरू हो चुका है।
इस समूह द्वारा वाद्य कलाकारों का सम्मान किया जायेगा। आगरी बताते है कि दिल्ली एनसीआर में वर्ष 1977 में पहली बार रमेश इजराल द्वारा ढोल-दमाऊ लाया गया। जिसके बाद स्व. रमेश आर्या इसके कलाकार रहे। स्व. रमेश आर्या ने ओमान, दुबई जैसे शहरों में उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया। लेकिन उसके बाद दिल्ली एनसीआर मेें ढोल-दमाऊ के कई ग्रुप कार्य कर रहे है लेकिन एकजुटता न होने से सही काम नहीं मिल पा रहा है। न ही राज्य सरकारों द्वारा आज तक इन्हें कोई सम्मान दिया गया। ऐसे में जगदीश आगरी सभी को एकत्र कर एक नई ऊर्जा भरने में जुटे है। उनका उद्देश्य पुराने वाद्य कालारों का सम्मान देना है। जिससे उत्तराखंड की लोक संस्कृति को और आगे बढ़ाया जा सकें।