उत्तराखंड: चैत महणै लाल काफला बैशाखा में काला, फौजी जगमोहन के कुमाऊंनी वीडियो गीत ने ताजा की पहाड़ की याद
Pahad Prabhat EXCLUSIVE: उत्तराखंड के सुपरस्टार लोकगायक फौजी जगमोहन दिगारी जो पिछले 17 सालों से उत्तराखंड के संगीत जगत में एक बड़ा नाम कमा चुके है। अब उनका एक और नया धमाकेदार कुमाऊंनी गीत रिलीज हुआ है। यह गीत ऐसे समय में आया जब पहाड़ों में काफल का सीजन चल रहा है। ऐसे में उनका एक वीडियो गीत काफल रिलीज हुआ है। गीत के बोल है चैत महणै लाल काफला बैशाखा मेें काला…। जिसे लोग खूब पसंद कर रहे है। रिलीज के पहले दिन सुपरस्टार लोकगायक फौजी जगमोहन दिगारी का यह गीत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
माया दगडि़ ने बनाया सुपरस्टार
इससे पहले अपने 17 साल से ऊपर के करियर में फौजी जगमोहन दिगारी एक सेे बढक़र एक सुपरहिट गीत दे चुके है। हाल ही में उनका ईजा ब्वारी ल्यो सुपरहिट रहा है। इस गीत को करीब 68 लाख व्यूज अभी तक मिल चुके है। आज भी फौजी जगमोहन का सुर सुनने के लिए लोग उतने ही बेसब्री से इंतजार करते है जैसे शुरूआत में करते थे। उनके माया दगडि़ एलबल में उस दौरान में उत्तराखंड संगीत जगत में धमाल मचा दियाा था। इस एलबम के आठ के आठ गीत सुपरहिट हुए थे। इसके बाद आये कानों में डबल झुमका ने अभी तक शादी-पार्टियों में अपना कब्जा जमाया है। इन गीतों ने उन्हें उत्तराखंड के संगीत जगत में सुपरस्टार बना दिया।
काफल गीत ने दिलाता है पहाड़ की याद
नये दौर के गायकों के बीच सुपरस्टार लोकगायक दिगारी के पुराने गीतों ने लोगों के लिए पर आज भी राज किया है। आर्मी में ड्यूटी के चलते समय कम मिल पाने से फौजी दिगारी काफी कम गीत रिलीज कर रहे है। अब उनका काफल वीडियो गीत रिलीज हुआ है। इस गीत को खुद फौजी जगमोहन दिगारी ने लिखा है जबकि म्यूजिक विक्की जुयाल ने दिया है। गीत की प्रोड्सर भावना दिगारी है जबकि इसे डायरेक्शन लोविश आर्या ने किया है। लंबे समय बाद फौजी दिगारी का वीडियो गीत देखने को मिला है। यह गीत उनके चैनल दिगारी म्यूजिक पर आपको देखने को मिलेगा। इस गीत को सुन आप अपने क दम को थिरकने पर रोक नहीं पायेंगे।
17 सालों से संगीत जगत पर कब्जा
फौजी जगमोहन दिगारी के सुरों में आज भी वहीं मिठास है जो वर्षों पहले हमें बचपन केे दिनों में सुनने को मिलती थी। पिछले करीब 17 सालों से उत्तराखंड के संगीत जगत में फौजी दिगारी ने अपना कब्जा जमाया है। बीच में उनकी पोस्टिंग कई दुर्गम इलाकों में हुई तो वह संगीत जगत से दूर हो गये लेकिन उत्तराखंड की संस्कृति का लेकर उनके अंदर जुड़ाव हमेेशा रहा। इस दौरान जब रिकॉडिंग संभव नहीं हो पायी तो वह अपनी डायरी में गीतों को लिखने में जुटे गये। इसके बाद उन्होंने ढाई तौला नथुली से वापसी की। फिर पित्रों की घर कुड़ी, आईडी मेरी डीपी तेरी, रम की बोतल, चांदनी, कैसी काटेछी दिन, ईजा ब्वारी ल्यो, रंगरूटी, काफल, मनरेगा का मजदूर जैसे सुपरहिट गीत दिये। अब काफल गीत का वीडियो निकालकर भी से लोगों के बीच छा गये। इससे पहले इसी ऑडियो गीत को करीब दो लाख लोग सुन चुके है। अब लोग इसके वीडियो गीत को काफी पसंद कर रहे है।