उत्तराखंड: उत्तराखंडी संगीत में इंदर आर्य ने जमाई धाक, पढिय़े उनके सुपरस्टार लोकगायक बनने का पूरा सफर…

HALDWANI: (JEEVAN RAJ EXCLUSIVE)- उत्तराखंड के संगीत जगत में कई कलाकार हर साल आते है लेकिन कम ही लोग ऐसे होते हैं जो बड़े मुकाम तक पहुंच पाते है। उत्तराखंड के संगीत जगत में लोकगायक इंदर आर्य एक बड़े सुपरस्टार के तौर पर सामने आये है। मात्र तीन साल के संगीत सफर में इंदर आर्य ने बड़ी ऊंचाईयों को छुआं है। वह लगातार उत्तराखंड की लोकसंस्कृति को आगे बढ़ा रहे है। अपने गीतों से इंदर आर्य ने लोगों का दिल जीता है। पिछले तीन सालों से लोकगायक इंदर आर्य ने एक के बाद एक सुपर-डुपर गीत उत्तराखंड को दिये है। इसलिए आज वह लोगों की पहली पसंद बने हुए है। आइये जानते है उनके संगीत जगत का सफर…

बचपन के शौक ने बनाया बड़ा लोकगायक
हाल ही में पहाड़ प्रभात के संपादक जीवन राज ने लोकगायक इंदर आर्य का एक साक्षात्कार लिया, जिसमें उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही पहाड़ी गीत गाते थे, लेकिन कभी ऐसा मौका या मंच नहीं मिला, जिससे उनकी प्रतिभा लोगों तक दिखे। हालांकि स्कूलों में वह 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे कार्यक्रम में गाना गाते थे लेकिन ये दिन स्कूली थे, बचपना भी था। हां मन की कसक थी कि कभी मैं भी पहाड़ी गायक बनूना। पढ़ाई के बाद इंदर आर्य नौकरी की तलाश में चंडीगढ़ चले गये। जहां उन्होंने रोजगार के लिए होटल इंडस्ट्री में कदम रखा। बस फिर क्या था, यहीं से शुरू हो गया, उनके सपनों को सच होनेे का सफर। नीचे वीडियो में देखिये इंदर आर्य का साक्षात्कार-

पुष्पा पहला कुमाऊंनी गीत
लोकगायक इंदर आर्य बताते है कि अक्सर काम के दौरान वह पहाड़ी गीतों को गुनगुनाया करते थे। ऐसे में उनके साथियों ने उन्हें कुमाऊंनी गीत गाने की सलाह दी और उनके आवाज को पहचानकर उनका उत्साह भी बढ़ाया। फिर क्या था, इंदर ने भी हामी भर ली। इसके बाद लोकगायक आंनद कोरंगा ने स्टूडियों तक लाने में उनकी मदद की। इंदर आर्य ने अपना पहला गीत 15 अगस्त 2018 को रिकॉर्ड किया, जिसका नाम था पुष्पा। इंदर बताते है कि यह गीत उन्होंने अपनी पत्नी पुष्पा के नाम पर गाया जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। इसके बाद इंदर आर्य ने पीछे मुडक़र नहीं देखा।
ये चार गाने पहुंचे एक करोड़ के पार
तेरो लहंगा गीत ने इंदर आर्य को एक बड़े लोकगायक के तौर पर पहचान दिलाई। इस गीत ने इंदर आर्य के पूरे करियर को बदल दिया। इसके बाद आये तेरो लहंगा-2 ने उनकी गायकी को विदेशों तक पहचान दिलाई। फिर बोल हीरा बोल, मधुली हिट दगाड़ा, लहंगा-3, पहाड़ में बस जौल लो समेत कई सुपरहिट गीत उन्होंने गाये। अभी तक वह 60 से ऊपर कुमाऊंनी व गढ़वाली गीत गा चुके है। जिमसें से लहंगा-2, लहंगा-3, बोल हीरा और हिट मुधली जैसे गीत करोड़पति की लिस्ट में शामिल है। इंदर मात्र एक ऐसे अकेले गायक है जिनके चार गीत लगातार करोड़ों की लिस्ट में शामिल है। ये सभी गीत उनके चैनल इंदर आर्य ऑफिसल यू-ट्यूब चैनल पर आपको सुनने को मिल जायेंगे। जल्द ही उनके लहंगा-4, लहंगा-5, बोल हीरा-2 और पहाड़ में बसी जौलो-2 गीत आने वाले है।
पारिवारिक जानकारी
लोकगायक इंदर आर्य ऊर्फ जितेन्द्र राम मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के दन्या तहसील स्थित बागपाली गांव के निवासी है जो वर्तमान में हल्द्वानी में रह रहे है। वह लोकसंगीत के क्षेत्र में अपना आदर्श लोकगायक नैननाथ रावल और लोकगायिका आशा नेगी को मानते है। जबकि म्यूजिक डायरेक्टर असीम मंगौली उनकी पहली पसंद है। उनके पिता का नाम फकीर राम और माता का नाम हेमा देवी है। वह पांच भाई और एक बहन है। इंदर आर्य अपनी पत्नी पुष्पा देवी और पुत्र तनिष कुमार के साथ हल्द्वानी में रहते है। आज वह सुपरस्टार लोकगायकों की श्रेणी में काबिज है।
नोट-पूरी जानकारी लोकगायक इंदर आर्य द्वारा बताई गई है।










