उत्तराखंड: नये जिले की मांग पर डीडीहाट में जले मशाल, पहाड़ की जनता को ठग रही डबल इंजन की सरकार

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DIDIHAT NEWS: डीडीहाट जिले की घोषणा के 10 साल पूरा होने के बाद भी जिला न बनने से लोगों में आक्रोश है। नाराज क्षेत्र के लोगों ने मशाल जूलूस निकालकर जमकर नारेबाजी की। डीडीहाट, रानीखेत, यमुनोत्री और कोटद्वार में चारों जिलों में एक साथ भव्य मशाल जुलूस निकाला गया। इसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संयुक्त घोषित जिलों कोर कमेटी डीडीहाट, रानीखेत, यमुनोत्री और कोटद्वार द्वारा ज्ञापन भेजा गया।

डीडीहाट जिला बनाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि भाजपा की तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ने 15 अगस्त 2011 के दिन देहरादून में झंडारोहण के बाद उत्तराखंड में चार नए जिलों की घोषणा की थी लेकिन 10 सालों के बाद भी इन चारों जिलों में प्रशासनिक इकाई का गठन नहीं किया गया है। इससे पहले डीडीहाट के युवाओं ने स्वतंत्रता दिवस पर भाजपा सरकार को उनकी झूठी घोषणा की याद दिलाते हुए 10 पौंड के केक को खच्चर के ऊपर रखकर नगर में घुमाया गया। अब 10 साल बाद भी जिला का शासनादेश जारी नहीं होने के बाद अब यहां के लोगों ने आंदोलन का मन बना लिया है।

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DIDIHAT JILA SANGHAR SAMITI

संघर्ष समिति के बैनर तले अब लोग जिला बनाने के लिए आंदोलन तेज कर दिया है। डीडीहाट को भी जिला बनाए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को स्थानीय लोगों ने जमकर सडक़ों पर प्रदर्शन करते हुए मशाल जुलूस निकालकर उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर राज्य सरकार से तत्काल जिला बनाए जाने की शासनादेश जारी करने की मांग की। सामाजिक कार्यकर्ता कफलिया ने कहा कि सरकार यदि अब भी सोयी रही तो डीडीहाट की जनता आर-पार की लड़ाई को तैयार है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य छोटी प्रशासनिक इकाई बनेंगें करके ही बना था लेकिन आज भी वही हाल है।

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कफलिया ने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वर्ष 2000 में उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ राज्य एक साथ बने थे। आज देखिये दोनों राज्यों में कितना अंतर है। उत्तराखंड में 13 जिले है जबकि छत्तीसगढ़ में 16 जिले है। साल 2007 में दो नए जिले छत्तीसगढ़ में बनाये गये। जबकि तत्कालीन भाजपा सरकार ने 15 अगस्त 2011 को उत्तराखंड में चार जिलों की घोषणा की थी वहीं छत्तीसगढ़ में भी 9 जिलों की घोषणा हुई। उत्तराखंड की जनता को केवल ठगा गया जबकि छत्तीसगढ़ में 9 जिले अस्तिव में आये। कफलिया ने भाजपा सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि डबल इंजन होने के बावजूद बजट का हवाला देकर भाजपा सरकार पहाड़ के लोगों को ठग रही है।

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।