उत्तराखंडः लोकसभा में अल्मोड़ा सीट पर नये चेहरे पर दांव खेल सकती है कांग्रेस, इनके नामों की चर्चाएं…

Haldwani News: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी भाजपा ने पूरी तरह से कमर कस ली है। भाजपा ने महाअभियान की शुरूआत कर ली है। जिसके बाद उनके नेताओं ने जनता के बीच जाना भी शुरू कर दिया है। वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव काफी निर्णायक होगा, ऐसे में केन्द्र में बैठी मोदी सरकार की नजर एक बार फिर सत्ता में दोबारा वापसी की है। वहीं अन्य पार्टियों के साथ कांग्रेस भी जीतोड़ मेहनत कर सत्ता का पहिया अपनी ओर मोड़ने की तैयारी में जुटी है। बात करें कुमाऊं की तो यहां दो लोकसभा सीटें नैनीताल और अल्मोड़ा है। जिनपर कांग्रेस को प्रत्याशियों की तलाश है। हालांकि सूत्रों के हवाले से खबरें भी आ रही है कि कई सीटों पर नये चेहरों को मौका मिल सकता है। वहीं कांग्रेस ऐसे नये चेहरों की तलाश में है, जो जनता में पकड़ के साथ-साथ ही जीताऊं भी हो। इस बार अल्मोड़ा सीट में कांग्रेस नये चेहरे को मौका दे सकती है। सूत्र बताते है कि कांग्रेस इस सीट के लिए नेताप्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदीप टम्टा के अलावा डाॅ. अजय पाल को मौका दे सकती है। आगे पढ़िए…
ऐसे में अभी से सियासी खबरों का बाजार गर्म है। बात करें पिछली बार के लोकसभा चुनाव की तो वर्ष 2019 के चुनाव में बीजेपी के अजय टम्टा और कांग्रेस के प्रदीप टम्टा के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें अजय टम्टा मैदान मार ले गये। ऐसे में कांग्रेस इस बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट को खोना नहीं चाहती है। आपकों बता दें कि इस लोकसभा सीट पर कई सालों तक सिर्फ कांग्रेस ने राज किया। वर्ष 1962, 1967, 1971 तक यहां कोई भी पार्टी अपने जड़ें नहीं जमा पाई। वर्ष 1962 के चुनाव में कांग्रेस के एक नए उम्मीदवार जंग बहादुर सिंह यहां से जीते। फिर वर्ष 1967 में भी जंग बहादुर सिंह ने ही जीत का परचम लहराया। हालांकि 1971 में कांग्रेस ने फिर से एक नए उम्मीदवार को टिकट दिया। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे नरेंद्र सिंह बिष्ट ने जीत हासिल की। आगे पढ़िए…

इसके बाद वर्ष 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस ने फिर से लगातार तीन लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा पर राज किया। 1980 में कांग्रेस ने एक नए उम्मीदवार हरीश रावत को चुनाव लड़वाया। जिसमें उन्हें जीत मिली। इसके बाद 1984 में हरीश रावत के सामने फिर से मुरली मनोहर जोशी खड़े हुए, लेकिन इस बार वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लडे़, लेकिन चुनाव हार गये। फिर वर्ष 1989 के चुनाव में हरीश रावत ने निर्दलीय उम्मीदवार काशी सिंह को हराया। हरीश रावत लगातार तीन बार कांग्रेस के खाते में जीत लिखवाते चले गए और सांसद बनते रहे। आगे पढ़िए…
अब एक बार फिर कांग्रेस इस सीट पर अपनी वापसी की तैयारी में जुटी है। ऐसे में कांग्रेस ऐसे नाम की तलाश में है ,जिसकी पकड़ जनता में अच्छी हो। हालांकि पिछली बार प्रदीप टम्टा को मैदान में उतारा था, लेकिन कांग्रेस यह सीट हार गई। सूत्रों की मानें तो इस सीट के लिए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य को भी कांग्रेस मैदान मंें उतार सकती है। वहीं डाॅ. अजय पाल का नाम भी खबरों में आ रहा है। ऐसे में डाॅ. अजय पाल भी एक जाना पहचाना नाम है। उन्हें अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ की जनता ही नहीं बल्कि पूरे कुमाऊं के लोग उनके व्यवहार और व्यवसाय से जानते है। अगर नैनीताल सीट पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का नाम आता है तो अल्मोड़ा सीट पर कांग्रेस के पास केवल दो दावेदार बच जायेंगे, एक प्रदीप टम्टा, दूसरे डाॅ. अजय पाल। ऐसे मे कांग्रेस किस पर अपना दांव खेलंेगी यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।