कुमाऊंनी शायरी: नी कर तू आपणी तुलना मी दगड़ी

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नी कर तू आपणी तुलना मी दगड़ी
छुईमुई जस शहर तू जानदार पहाड़ हय मी

को करूं भरौस शहरों पर आज
कई सालों बटी भगवानों नामक जस कराड़ हय मी

झुर्री मुखड़ में डर कलज में त्यर, आपण और त्यार जास लोगों लिजी आड़ हय मी

पुर चौबीस कैरट सुन में जड़ी जेवर, यस नी सोच कि एक कबाड़ हय मी

तू शहर में पराय आपण घर में, पहाड़ में पुर जिल्ल हमर पुर तहसील हमरी

प्रवेश करनी ठुल घरों में, पुर सुन चांदी जड़ी हुई एक ठोस किवाड़ हय मी

लेखक – राजेंद्र सिंह भण्डारी (बले) सोमेश्वर, अल्मोड़ा

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जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।