कुमाऊंनी शायरी: नी कर तू आपणी तुलना मी दगड़ी
नी कर तू आपणी तुलना मी दगड़ी
छुईमुई जस शहर तू जानदार पहाड़ हय मी
को करूं भरौस शहरों पर आज
कई सालों बटी भगवानों नामक जस कराड़ हय मी
झुर्री मुखड़ में डर कलज में त्यर, आपण और त्यार जास लोगों लिजी आड़ हय मी
पुर चौबीस कैरट सुन में जड़ी जेवर, यस नी सोच कि एक कबाड़ हय मी
तू शहर में पराय आपण घर में, पहाड़ में पुर जिल्ल हमर पुर तहसील हमरी
प्रवेश करनी ठुल घरों में, पुर सुन चांदी जड़ी हुई एक ठोस किवाड़ हय मी
लेखक – राजेंद्र सिंह भण्डारी (बले) सोमेश्वर, अल्मोड़ा