मैं मुस्कुरा देती हूँ…

लाखों दुःख हो
चाहे परेशानियों का आए कारवां
मैं मुस्कुरा देती हूं
याद करती हूं खुदा को
हर गम भुला देती हूं
खुदा से अब नाराज नहीं मैं
दिल में प्यार का एहसास है
अब गले लगाता है वो भी मुझे
मेरी हर दुआ उसे कबूल है।
मंजिल पहुंचना है पर कोई इसकी चाभी नहीं
उम्मीद टूटने ना दो यह कोई डाली नहीं
सर झुका लो खुदा के आगे
दुआ मिलेगी रहेगी झोली खाली नहीं
इनकी रहमत के बिना सब है फीका
खुदा एक सच्चा है बाकी सब छलावा
सब के जीवन का यही पालनहारा
इनकी मेहरबानियों से है बरकत और उछावा
पूनम झा
नई दिल्ली















