हल्द्वानी: TAVI तकनीक बदल रही हृदय रोग उपचार का तरीका

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हल्दवानी: भारत में हृदय रोग से पीड़ित उन मरीजों के लिए, जो उम्र, कमजोरी या अन्य गंभीर बीमारियों के कारण ओपन-हार्ट सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते, अब उम्मीद की एक नई किरण उभर रही है—TAVI या ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन। इसे TAVR (रिप्लेसमेंट) भी कहा जाता है। यह एक अत्याधुनिक, न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है जो गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस से पीड़ित मरीजों के जीवन में बड़ा बदलाव ला रही है।

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एओर्टिक स्टेनोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल का एओर्टिक वाल्व संकरा हो जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह दिल की विफलता, चक्कर आना, सीने में दर्द और यहां तक कि अचानक मृत्यु का कारण बन सकता है। अब तक इसका मुख्य इलाज ओपन-हार्ट सर्जरी रहा है, लेकिन सभी मरीज इसके लिए सक्षम नहीं होते।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली के कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. आनंद कुमार पांडे ने बताया कि “ऐसे में TAVI एक क्रांतिकारी विकल्प बनकर सामने आता है। इसमें मरीज की छाती खोले बिना, आमतौर पर पैर के रास्ते एक कैथेटर के जरिए, क्षतिग्रस्त वाल्व को एक नए वाल्व से बदला जाता है। यह तकनीक खास तौर पर उन मरीजों के लिए उपयोगी है जो बुजुर्ग हैं, पहले से मधुमेह, किडनी की बीमारी या अन्य हृदय संबंधी सर्जरी से गुजर चुके हैं, या जिनमें जोखिम मध्यम स्तर का है। TAVI प्रक्रिया के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं जो इसे पारंपरिक सर्जरी की तुलना में एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। इस प्रक्रिया के तहत मरीज को अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है और वह जल्दी अपनी सामान्य दिनचर्या में लौट सकता है।

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डॉ. पांडे ने आगे बताया कि “चूंकि इसमें छाती की हड्डी नहीं काटी जाती, इसलिए शरीर की संरचना सुरक्षित रहती है, कोई बड़ा निशान नहीं बनता और दर्द भी न के बराबर होता है। इसके अलावा, मरीजों की जीवन गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार देखा गया है और जटिलताओं का खतरा भी पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम होता है। यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए भी प्रभावी साबित हुई है जो पहले से किसी हृदय उपचार से गुजर चुके हैं। विभिन्न अध्ययन और वास्तविक जीवन के आंकड़े बताते हैं कि TAVI, चुनी हुई मरीज श्रेणियों में, पारंपरिक वाल्व रिप्लेसमेंट जितना ही सुरक्षित और कई मामलों में उससे बेहतर परिणाम देता है।“

हालांकि इसके अनेक लाभों के बावजूद, भारत में अभी भी यह तकनीक अपेक्षाकृत कम उपयोग में लाई जा रही है, जिसका मुख्य कारण जागरूकता की कमी है। यदि मरीज और उनके परिवार इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करें और समय रहते किसी प्रशिक्षित कार्डियोलॉजिस्ट से परामर्श लें, तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।

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यदि आपको या आपके किसी करीबी को एओर्टिक वाल्व की समस्या है और पारंपरिक सर्जरी को लेकर जोखिम बताया गया है, तो TAVI एक जीवनदायिनी विकल्प हो सकता है। आज भारत के कई अग्रणी अस्पतालों में यह तकनीक विशेषज्ञ डॉक्टरों और विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ उपलब्ध है।

यदि आप 60 वर्ष से ऊपर हैं और सांस फूलना, थकान, या सीने में दर्द जैसे लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो एओर्टिक वाल्व की जांच कराना आवश्यक हो सकता है।

TAVI जैसी तकनीकों की बदौलत अब उच्च जोखिम वाले मरीजों को भी एक सुरक्षित, प्रभावी और कम दर्दनाक विकल्प मिल रहा है—जो न केवल जीवन की अवधि बढ़ाता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बनाता है।

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पहाड़ प्रभात डैस्क

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।