हल्द्वानी: गरीबी नहीं रोक पाई सपनों की रफ्तार,13 वर्षीय बबीता बनी हॉकी की उभरती स्टार

हल्द्वानी। हालात भले ही कठिन हों, लेकिन हौसलों के आगे हर मुश्किल छोटी पड़ जाती है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं हीरानगर की 13 वर्षीय बबीता तिवारी, जिन्होंने संसाधनों की कमी को अपने सपनों के आगे झुकने नहीं दिया। रोजाना 14 किलोमीटर पैदल सफर तय कर उन्होंने साबित कर दिया कि मजबूत इरादों के सामने कोई बाधा टिक नहीं सकती।
जीजीआईसी में नौवीं की छात्रा बबीता ने दो साल पहले अपने पीटीआई शिक्षक की प्रेरणा से हॉकी खेलना शुरू किया। आर्थिक स्थिति मजबूत न होने के कारण रोज स्टेडियम तक पहुँचने के लिए ऑटो का किराया देना संभव नहीं था। लेकिन बबीता ने हार नहीं मानी और गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम तक रोज पैदल जाने का निर्णय लिया। इस सफर में उनकी सहेलियाँ भी साथ रहीं।
मेहनत का फल मिला और पिछले साल मध्य प्रदेश में हुई राष्ट्रीय स्तरीय हॉकी स्पर्धा में बबीता उत्तराखंड टीम का हिस्सा बनीं। उनके पिता पूरन तिवारी हार्डवेयर की दुकान में नौकरी करते हैं जबकि माता कमला तिवारी गृहिणी हैं। सीमित साधनों के बावजूद परिवार ने बबीता का हौसला कभी टूटने नहीं दिया।
अब बबीता का लक्ष्य भारतीय टीम में जगह बनाना है और इसके लिए वह दिन-रात अभ्यास में जुटी हैं। निश्चय, संघर्ष और प्रतिबद्धता से भरी बबीता की कहानी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।















