5 जून पर विशेष: प्रकृति पर्यावरण

अहा! ईश्वर ने प्रकृति को कितना सुन्दर बनाया है,
इस प्रकृति ने हम सबको लुभाया है।
कल-कल,छल-छल नदियां बहती,
डाल-डाल पर चिडिय़ा चहकती
हरे-भरे वृक्ष सबके मन को हरते,
हम सबके मन में खुशियां भरते।
रंग-बिरंगे फूलों से भी घाटियां,
वाह! कितनी सुन्दर है, प्रकृति की वादियां वाह…
जीव-जन्तु इसकी शोभा बढ़ाते है,
पर्यावरण को भी ये बचाते हैं,
इसके विशाल पर्वत प्रहरी जैसे
दुश्मन हमला करेगा हम पर कैसे?
शस्य श्यामल सब खेत खलिहान,
प्रकृति ने दिया है, ये अनुपम वरदान प्रकृति…
वाह! कितनी सुन्दर इसमें विकृृति
करो मत तुम इसका विनाश,
रूक जायेगा देश का विकास, रूक…
जीव-जन्तु और वृक्ष सब इसके श्रृंगार,
करो न इन पर तुम अत्याचार करो…
जन-जन को बतलाना है,
हमें प्रकृति को बचाना है,
ईश्वर की यह कृति महान
करें हम इसका सम्मान, करे…
भगवती धपोला
प्रवक्ता अंग्रेजी, राइंका लालकुआं जिला नैनीताल














