उत्तराखंडः RTE से करा रहे बच्चे का एडमिशन तो पढ़ लिजिए खबर, अब ऐसे मिलेगा प्रवेश
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शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत प्रवेश नियम सख्त, वार्ड के स्कूलों में प्राथमिकता
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत बच्चों को निशुल्क प्रवेश केवल उनके वार्ड में स्थित स्कूलों में ही मिलेगा। यदि वार्ड के सभी स्कूलों की सीटें भर जाती हैं, तो ही मुख्य शिक्षा अधिकारी की मंजूरी के बाद किसी छात्र को दूसरे वार्ड के स्कूल में प्रवेश मिल सकेगा। इस नियम का सख्ती से पालन किया जाएगा, जिससे जरूरतमंद बच्चों को उनके नजदीकी स्कूलों में ही शिक्षा का लाभ मिल सके।
इसके साथ ही सभी निजी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने स्कूल में उपलब्ध सीटों का विवरण हर हाल में 25 फरवरी तक शिक्षा विभाग को सौंप दें। बीते वर्ष, कई स्कूलों ने इस प्रक्रिया में लापरवाही बरती थी, जिसके चलते 1,900 से अधिक स्कूलों को नोटिस जारी किए गए थे। इस बार शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई स्कूल इस नियम का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
न्यूनतम आयु का नियम भी लागू
आरटीई के तहत कक्षा एक में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु मानक को भी सख्ती से लागू किया जाएगा। नए सत्र के लिए, कक्षा एक में प्रवेश पाने के लिए बच्चे की आयु 31 मार्च 2025 तक छह वर्ष पूरी होनी चाहिए। इसी प्रकार, प्री-प्राइमरी में प्रवेश के लिए बच्चे की आयु 31 मार्च 2025 तक कम से कम तीन वर्ष होनी चाहिए। शिक्षा विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए यह नियम लागू किया है कि बच्चों को उनकी उचित आयु में स्कूल भेजा जाए और उनकी प्रारंभिक शिक्षा मजबूत हो। यह नीति बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जिससे वे अपने साथियों के साथ समान गति से सीख सकें।
लॉटरी के जरिए होगा चयन
शिक्षा विभाग के अनुसार, आरटीई के तहत प्रवेश के लिए छात्रों का चयन पांच अप्रैल को लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा। डीजी शिक्षा झरना कमठान ने बताया कि यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी, जिससे सभी पात्र छात्रों को समान अवसर मिल सके। इस पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने के लिए शिक्षा विभाग ने स्कूलों को समय पर जानकारी उपलब्ध कराने और पारदर्शिता बनाए रखने का निर्देश दिया है। विभाग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा का लाभ मिले और वे बिना किसी बाधा के स्कूल पहुंच सकें।