उत्तराखंड: अलविदा प्रहलाद दा… झूठौं माया जाला दि दिनकौं हूं छी…

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हल्द्वानी। (जीवन राज)- आज उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोकगायक प्रहलाद मेहरा का निधन हो गया। उत्तराखंड संगीत जगत को उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। प्रहलाद दा ने कई ऐसे गीत गाये तो जल, जंगल, जमीन और पहाड़ की पीड़ा को लेकर थे। आज सदा के लिए उनकी आवाज खामोश हो गई। आज उनकी इस खामोशी पर उन्हीं का गाया एक गीत याद आता है। पंछी उड़ी जानी घोंल उसे रूछो, झूठौ माया जाला दि दिन कौं हूं छौ…

अपने सुरों से बयां का पहाड़ का दर्द

यह वह दौर था जब मैं स्कूली दिनों में इस गाने का सुनता था, बचपन से ही प्रहलाद मेहरा के गीतों को बड़ा फैन था, लेकिन कभी उनसे मुलाकात नहीं हुई थी। स्कूल शिक्षा के बाद मीडिया जगत में आया तो फिर कई कार्यक्रमों में प्रहलाद दा से मुलाकात हो जाती थी। सरल और सौम्य स्वभाव के प्रहलाद मेहरा हमेशा मेरे नमस्कार का जवाब मुस्कुराते हुए देते थे। हल्द्वानी रहते हुए मेरी उनसे अंतिम मुलाकात इस बार उतरैणी कौतिक हीरा नगर में हुई थी। पहाड़ की पीड़ा को कई लोकगायकों ने अपने सुरों में बयां किया, लेकिन जो मिठास प्रहलाद दा के सुरों में शायद ही ऐसे गायक उत्तराखंड में आगे आयेंगे।

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शुद्ध पहाड़ी गीतों से बनाई खास पहचान

शुद्ध पहाड़ी शब्दों का चयन पाठी दवाता भूल गई, मेरी गपुली मेकै टोकली, ऐजा रे ऐजा रे मेरो दानपुरा, चांदी बटना दाज्यू कुर्ती कॉलर, भारत मुकुट हिमालाय, सौणे की रात बरखा, में जैसे गाने ने वर्तमान के दौर में उनकी गायकी को एक अलग की श्रेणी में रखा। उनके गीतों को सुनकर एक सकून मिलता था। अब उनकी आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई। प्रहलाद मेहरा एक गहरी नींद में सो गये। वर्तमान दौर में शुद्ध पहाड़ी शब्दों में गीत हमें अब नहीं सुनाई देंगे।

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आकाशवाणी अल्मोड़ा से पास की स्वर परीक्षा

वर्तमान में प्रहलाद मेहरा लालकुआं बिंदुखत्ता के संजय नगर में रहते थे। बचपन से ही पहाड़ी गीतों के शौक ने उन्हें वर्ष 1989 में अल्मोड़ा आकाशवाणी में स्वर परीक्षा पास करने में मदद की। प्रहलाद मेहरा अल्मोड़ा आकाशवाणी में ए श्रेणी के गायक थे। उनके पिता पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी में प्राथमिक स्कूल में शिक्षक थे। प्रहलाद मेहरा ने कैसेटों के दौर से लेकर सीडी और यूट्यूब के दौर तक करीब 150 से अधिक गानों को अपनी आवाज दी। लोकगायक प्रहलाद मेहरा के निधन पर सीएम धामी सहित तमाम लोगों ने संवेदनाएं प्रकट की हैं और दिवंगत को श्रद्धांजलि अर्पित की है। पहाड़ प्रभात की ओर से प्रहलाद दा आपको शत्-शत् नमन्…

जीवन राज (एडिटर इन चीफ)

समाजशास्त्र में मास्टर की डिग्री के साथ (MAJMC) पत्रकारिता और जनसंचार में मास्टर की डिग्री। पत्रकारिता में 15 वर्ष का अनुभव। अमर उजाला, वसुन्धरादीप सांध्य दैनिक में सेवाएं दीं। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। राजनीतिक और सांस्कृतिक के साथ खोजी खबरों में खास दिलचस्‍पी। पाठकों से भावनात्मक जुड़ाव बनाना उनकी लेखनी की खासियत है। अपने लंबे करियर में उन्होंने ट्रेंडिंग कंटेंट को वायरल बनाने के साथ-साथ राजनीति और उत्तराखंड की संस्कृति पर लिखने में विशेषज्ञता हासिल की है। वह सिर्फ एक कंटेंट क्रिएटर ही नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा कुछ नया सीखने और ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए तत्पर रहते हैं। देश के कई प्रसिद्ध मैगजीनों में कविताएं और कहानियां लिखने के साथ ही वह कुमांऊनी गीतकार भी हैं अभी तक उनके लिखे गीतों को कुमांऊ के कई लोकगायक अपनी आवाज दे चुके है। फुर्सत के समय में उन्हें संगीत सुनना, किताबें पढ़ना और फोटोग्राफी पसंद है। वर्तमान में पहाड़ प्रभात डॉट कॉम न्यूज पोर्टल और पहाड़ प्रभात समाचार पत्र के एडिटर इन चीफ है।